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२०. २. ११
२१८ ] सिरिचंदविरइयउ
[ घत्ता-ता तिहुयणगुरु दिव्वझुणि मुणिवहकारणु रायहो भासइ ।
अत्थि कलिंगविसण विसम विंझमहासोयक्ख वणासइ ॥२॥
गाहा–तत्थेक्कु तंबकत्ती अवरो नामेण सेदकत्ति त्ति ।
होता जूधादिवदी गिरिगरुया गयवरा चंडा । पाणियपिवणत्थु गलतमया
अवरोप्पर जुज्झिवि वे वि मया । उंदुरमज्जार बद्धवइरा
अहिनउल हूय पुणु वयसफरा । सूयर पारावय पावरया
[अणुहुंजिवि नाणा दुक्ख सया। ५ जो कणयउरेस-पुरोहियउ
नामेण सोमभूई हुयउ । सोमिल्ला भज्जा रूवजुया]
ते वे वि एवि तहे उयरि हुया । तहिँ सोमसम्मु पढमिल्लु सुउ
पभणिउ तह सोमदत्तु अणुउ । पढमहो सुकंत नामेण पिया
वीयहो लच्छीमइ पाणपिया। कालेण ताउ परलोउ गउ
राएण पुरोहिउ लहुउ कउ । १० घत्ता-किं किज्जइ वड्डत्तणेण जगि गुरउणेहिँ पाविज्जइ ।
वज्जिवि जलहि तडासियहिँ लोयहिँ कूववाविपउ पिज्जइ ।।३।।
गाहा–अच्छंतो तो सपए सुयनिलो सोमदत्तु दियवसहो ।
____जारो रायपहाणो अह होइ गुणेहिँ भणु किं न ।। एक्कहिँ दिणि रंजियनरवरहो
उवइठ्ठ सुकंतश देवरहो। भो सोमयत्त सयवत्तमुह
पाविठु एउ तुह भाइ बुह । परिहासविवज्जिउ लच्छिमई
कामइ कामंधु अयाणमई। निसुणेवि साहु सो चितवइ
हा एउ कयावि न संभवइ । तं नत्थि जं न दुक्कियरयउ
महिलउ चवंति कोवंगयउ । पत्तियइ सयाणउ ताम नउ
सइँ दिठ्ठ असंभवु जा न कउ । एक्कहिँ दियहम्मि महामइणा
होएप्पिणु पच्छन्नेण तिणा । सहुँ नियकता कुकम्मरउ
सयमेव पलोइउ भायरउ'। कयपरमविराएँ मुवि घरु
पडिगाहिउ मुणिचारित्तभरु । घत्ता-आयण्णवि तववत्त तो राएँ परमविसाउ करेप्पिणु। ...
किउ अहियारि पुरोहियहां सोमसम्मु[सो] हक्कारेप्पिणु ॥४॥ ४. १ सायरउ।
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