SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कहकोसु सन्धि कडवक क्र० सं० भ० प्रा० १२ १ (२१) सुद्ध सम्मत्ते अविरदो वि अज्जेदि तित्थयरनाम । जादो हु48 सेणि प्रो9 आगमेसि भद्दो50 अविरदो वि ।। ७४४ १६ १ (२२) एक्का:1 वि सा समत्था जिणभत्ती दुग्गदि2 निवारेहूँ । पुण्णाणि य पूरे, आसिद्धि परंपरसुहाणं ॥ ७५० २१ १ (२३) विज्जा वि भत्तिमंतस्स3 सिद्धिमुवयादि होदि सफला य । कह54पुणु निव्वुदिविज्जा55 सिज्झिहिदि56 अभत्तिवंतस्स57 ।। ७५२ २२ १ (२४) अन्नाणी वि य गोवो आराधित्ता मदो नमोक्कारं । चंपाए सेट्टिकुले जादो पत्तो य सामन्नं ।। ७६२ २३ १ (२५) जइदा खंडसिलोरोहि58 यमो मरणादु फेडिदो60 राया। पत्तो य सुसामन्नं किं पुण जिणवृत्तसुत्तेण ।। ७७५ ,, ७ (२६) दढसुप्पो सूलहदो पंचनमोक्कारमेत्तसुदनाणो62 । उवउत्तो कालगदो देवो जादो महड्ढीमो63 ॥ ७७६ २९ १ (२७) जीववधो64 अप्पवधो64 जीवदया होदि65 अप्पणो हु दया। विसकंटो व्व हिंसा परिहरिदव्वा66 तदो होदि ।। ७९६ ३० १ (२८) मारेदि एगमवि67 जो जीवं सो बहुसु जम्मकोडीसु । अवसो मारिज्जंतो मरदि विधाणेहिं बहुएहिं68 ॥ ८०२ ,, , (२९) पाणो वि पाडिहेरं पत्तो छूढो वि संसुमारदहे। एगेण एगदिवसक्कदेण69 हिंसावदगुणेण70 ॥ ८२१ ८ (३०) सच्चं भणंति1 रिसमो रिसीहिं विहियाउ72 सव्वविज्जाउ73 । . मेच्छस्स वि सिझंति य विज्जानो सच्चवाइस्स74 ॥ ८३६ ३० ९ (३१) पावस्सासवदारं75 असच्चवयणं भणंति हु जिणिंदा।। हियएण76 अपावो वि हु मोसेण वसू7 गदो7 निरयं ॥ ८४८ ४८ क दु; ख खु । ४६ क ख गो। ५० क ख प्ररुहो। ५१ क ख एया। ५२ क ख 'इं। ५३ क ख 'बतस्स ५४ क किह; ख किध । ५५ क ख 'बीजं । ५६ क्र'हदि । ५७ क ख 'मंतस्स। ५८ क ख 'गेण । ५६ क ख जमो । ६० क 'प्रो। ६१ क ख जिणउत्त। ६२ क ख 'णाणे । ६३ क महद्धीमो । ६४ क ख वहो । ६५ क होइ । ६६ ख 'यव्वा । ६७ क 'एय । ६८ ख गेहिं । ६६ ख अप्पकाल । ७० ख अहिंसा ७१ क ख वदंति । ७२ क ख विहिदाउ । ७३ क सच्च । ७४ क ख 'वादिस्स । ७५ क पाप । ७६ क हिदयेण; ख हिदएण। ७७ क ख गदो वसू । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy