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सिरिचंदविरइया
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१२.२३.१
२३
खंडयं-तं निसुणेवि निवंगया तेणाणंगवसं गया।
मं भीसहि मइदरिसिणा भणिय कवडवणिणा तिणा ॥ पडिवालहि कइ वि दिणाइँ भद्दि
जा करमि उवाउ पसन्नसद्दि । इय भणिवि समालोइवि मणेण
वाहरिवि भणिउ नियखणउ तेण । तेण वि कुमारिभवणंतु जाम
किय तुंग सुरंग मणोहिराम । ५ जेट्ठाण समेउ सहोयरीण
नीसरिय कुमारि विहावरी । विन्नाणकलालायन्नजेट्ठ
जगजुवईयहुँ उप्परि वि जे? । जहिँ अच्छइ तिहुयणमणु हरंति
तहिँ अम्हारिसियउ किं करंति । सुंदरयर जहिँ छणयंदकंति
तहिँ तारियाउ कहिँ विप्फुरति । इय चितिवि परमणमेल्लणाट
विणएण भणिय सा चेल्लणाए। १० वीसरिय अक्कि जायाहिसेय'
सव्वण्हुपडिम कयदुरियछेय । अइदुल्लहु जणमणजणियचोज्जु
अवरु वि करंडु मणिमउ मणोज्जु । घत्ता-गुणनिहि लहु धावहि लेप्पिणु आवहि ख्यपरज्जियरइपियहो । दूरुज्झियचिंतउ वे वि तुरंतउ मिलहुँ जेण गंपिणु पियहो ॥२३॥
२४ खंडयं-अायण्णेप्पिणु सोयरी वयणमिणं गुणगोयरी ।
अवियाणंती वंचणं गय पल्लट्टिवि सभवणं ।। एत्वंतरि वणिउ सलक्खणाण
निवपुत्तिए वुत्तु वियक्खणाण । म चिरावहि प्रावहि चारुचित्त
को जाणइ केरिसु होइ मित्त । भयभीयहे विहियपियासयाहि
किं आवहु जाइ न जाइ ताहि । ५ निसुणेवि एहु चितवइ बोदु
अइलोहु कयाइ न होइ भदु । अइलोहें मत्था भमइ चक्कु
अइलोहें पडइ अकालचक्कु । किं लाहे मूलु वि गलइ जेण
इय चितिऊण सुंदरमणेण । नीसरिउ कुमारि लएवि झत्ति
नं चेडयरायही तणिय कित्ति । जामावइ जेट्ठा पडिम लेवि
ता नियइ न ताइँ गयाइँ वे वि। १० विलवंति विलक्खी होवि कण्ण
गय जिणवरभवणु सुवण्णवण्ण । घत्ता-तहिँ निज्जियकामहि जसमइनामहिँ पिउवहिणिहे वेल्लहलभुय ।
पयमूलि महासइ सिंधुरवरगइ हुय तवसिणि भव्वयणथुय ॥२४॥
२३. १ जज्जाहितेय ।
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