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सिरिचंदधिरइयउ
[ ११. २१. १०इय अग्यो वि विइन्नु तिवारउ
तो वि न कि पि जाउ साहारउ । १० जालासय मेल्लंतु भयावहु
पवणाइछुद्धाइउ हुयवहु । घत्ता-वेढिउ घरु भग्गउ निग्गमणु पुणु भणिउ ताइँ पिउ भीयमणु ।
सहसत्ति म कि पि खेउ करहि लइ अवरु वि काइँ देउ सरहि ॥२१॥
जो अम्हइँ मरणहो उव्वारइ
मयणुव' जलणु जलंतु निवारइ । ता परिवाडिग्र हरि कमलासण
इंद चंद अहमिद हुयासण । धरण वरुण गह गउरि गणेसर
भगवइ जक्ख रक्ख दिवसेसर। अवर वि सुर सुमरेवि रवण्णउ
आयरेण अग्धंजलि दिण्णउ । पर मरुसुहि केण वि न निवारिउ
घवसित्तु व पज्जलइ निरारिउ। ५ एत्यंतरे विलक्खु असरणमणु
भासइ नायदत्तु वणिनंदणु । जिणमइ जिणवरसासणवच्छले
न वि एत्तियहँ मज्झि एक्कु वि हले। अत्थि देउ जलणेण जलंत.
जो अम्हइँ रक्खेइ मरंत'। सो कि पह जो देइ न रक्खइ
पावयम्मु पिसुणु व उप्पेक्खइ । संपइ तुहुँ दे अग्घु जिणिदहो
जेण विमुच्चहुँ पाणविमदहो। घत्ता-सइँ लेप्पिणु ताणंतरि बरहो सुयसासुयसुण्हहँ देवरहो ।
दोजण [-ह] दुविह सन्नासु तए भासिउ विच्चासियजिणमयए ॥२२।।
२३
जइ अरहंतु महंतु महापहु
सिद्ध बुद्ध संकरु भवभयमहु । जइ देवाहिदेउ अजरामरु
परमप्पउ पयपणयनरामरु । वीयराउ परपरमु परावरु
जइ तवनिलउ तिलोयरमावरु । इह परलोयसरणु अमिप्रोवमु
तेण पउत्तु अईव अणोवमु । धम्मु महंतसोक्खसयदावणु
अत्थि अहिंसालक्खणु पावणु। ५ जइ निव्वाणदिक्ख सुहयारी
ता सुपवित्त भवासुहहारी। तो महुँ इह सपुत्तभत्तारिहे
रक्ख हवेउ निरुत्तउ मारिहे। एम भणेवि अहोहविग्रोएँ'
अग्घु देवि थिय पडिमाजोएँ । ता तहो तक्खणेण सियसेविण
संति पयासिय सासणदेविट। सहसा सिहि जलंतु उल्हाविउ
किउ सुहि जणु भिल्लोहु पलाविउ । १० २२. १ महुव । २३. १ अहोहुविओएँ ।
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