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अहवा एवं धन्नक्खाणं
प्रत्थि उज्झानयरि नयालउ तासूवरि रायगिहपुरेसरु विहाणो निमित्तु भयभीयप्र सव्वहिँ नियनियाइँ निक्केर' जियसत्तु वि पुरु लेहुँ न सक्किउ उ पट्टिवि निययनिवास हो मग्गिउ अन्नु जणेहिँ पउत्तउ एक्aहिँ मिलिउ केम ओलक्खहिँ
पुरि सयदारि दारि एक्कक्कय खलयहँ खलग्र खलप जूया रहँ तहिँ जूयारिउ नामें वइयउ सोसल वि ते नियधणु देपिणु एक्कहिँ वासरि सव्वु जिणेपिणु गय जूयार असेस विनासिवि तेजूयार कवड्डा कत्तउ एक्कहिँ मेलहुँ जीउ समत्थउ अहवा एउ एम पयडिज्जइ
घत्ता
-- विविहजोणिसस्सेसु मिलिउ न जीउ वियक्कइ । तिह निव्वाहिवि लेहुँ नरभवसस्सु न सक्कइ ||१०|| ॥ एवं धन्नक्खाणं गदं ॥ ३ ॥
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सिरिचंद विरइयउ
सो अणुबंधें रमइ सयाइ वि एक्aहिँ वासरि कहमवि जित्तउ दुत्थियदी हँ निक्कपडियहँ हरिसियचित्तें तेण विचित्तउ ता चेव वेला विणिग्गय
१०. १ सव्वहं । २ नियकेरए ।
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कहियव्वं सोयारजणाणं । पुहईवइ पसिद्ध पयपातउ । गउ रूसेवि जियारि नरेसरु | नेपि सयलंपा विणीय । धन्नइँ निहियइँ कोट्ठागार | तो निट्ठा निप्पणु संकिउ । हूई संति रायपुरदेस हो । निवेण वियाणिवि लेहु निरुतउ । तं परिछेउ होवि विलक्खहिँ ।
घत्ता – निल्लक्खणु नामेण चिरकयकम्में तम्मिय नयरम्मि प्रत्थि एवकु
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पंच पंच सय सोहगुरुक्कय । पंच पंच सय परवेयारहँ । प्रत्थि पउरधणकणसंचइयउ । जूउ रमावइ लाहु मणेपिणु । वसु कत्ताउ कवड्डा लेप्पिणु । थिउ वइयउ अप्पाणउ दूसिवि । वाउ कया विहु होइ निरुत्तउ । न य पुणु माणुसजम्मु पसत्थउ । कहा भंति हणिज्जइ ।
[ ६.१०. ६
जूरिउ । जूयारिउ ॥११॥
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पर सुइणे वि न जिणइ कयाइ वि । सव्वहँ सव्व कवड्डाकत्तउ । नाणादेस गयकप्पडियहँ । दिन्न वराडय तेत्तउ कत्तउ ।
सयल व ते निय-निय - निलयहो गय । ५
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