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________________ ६. ६.२ ] , कहकोसु [ १०६ पुरि साकेइ सयलपुहईसरु होत उ बंभदत्तु चक्केसरु । ५ भुवणि पसिद्धउ पोरिसधामें तो विदंसु सहसभडु नामें । वसुमित्तान पुत्तु वसुमित्तउ जायउ तहो घरिणी दुचित्तउ । अगहियगुरुयण सिक्खालावउ दुव्वसणायरु कीलणभावउ । अमुणियराय उत्तविन्नाणउ । थक्क उ सो होएवि अयाणउ । गउ कालेण जणेरु जमालउ हुउ समाउ सुउ सोएँ कालउ । १० मुक्खु भणिप्पिणु भुवणाणंदें तायो जीवणु तासु नरिंदें । तहो परिछिन्नउ अन्नहो दिन्नउ अह रायहँ कहिँ किर पडिवन्नउ । धाडिय वसुमइ सहुँ वसुमित्तें । थिय जुण्णाला दुक्खियचित्तें । तहिँ सुउ ताण दुआलियखवियउ धावहुँ वरतुरउ व सिक्खवियउ । हुउ खमु दूरज्झाणही जाणेवि वसुमित्ताइँ वुत्तु सम्माणिवि। १५ गंपि पुत्त पहुपाय निहालहि ओलग्गहि पियपउ उज्जालहि । घत्ता-पुत्वावरु निसुणेवि पुलिणसमाणनियंबहे । गउ वसुमित्तु कुमारु पय पणवेवि नियंबहे ।।४।। तहिँ कप्पडिग्रो लग्गिय सामिहे अोलग्गहुँ लग्गउ गयगामिहे । एक्कहिँ दियहिँ सकुलनहनेसर निउ दुवासें हरिवि नरेसरु । आयामिउ समेण धावंतउ परियणु निरवसेसु परियत्तउ । सहुँ पहुणा भमंतपंचाणणु सो पर एक्कु पइट्ठउ काणणु । तहिँ सरवरपालिहिँ उत्तरियउ गउ हरि पहु पुण्णेणुव्वरियउ। ५ पाडिउ सिहि पाहाण तवेप्पिणु गड्डु विउलु पाणियहो भरेप्पिणु । ते छुहेवि तावेप्पिणु तं जलु पहसमदेहु सेयसंचयमलु। वसुमित्तेण वसुंधरिधारउ ण्हावेप्पिणु चक्कवइ भडारउ । नवकमलेहिँ देहु पुज्जाविउ निम्मलु नियसंबलु भुंजाविउ । समु अवणेप्पिणु सम्मुहुँ नयरहो निउ दुत्थियविइन्नधणपयरहो। १० आगच्छंते संते संते भिच्चि किउ उवयारु सरंतें । पुरिपइसारि तेण तहो दिण्णउ नियकरकंकणु एक्कु रवण्णउ । घत्ता-इउ प्रावणि विक्किणिवि जीवहि जाहि लएप्पिणु । मिलियसेन्नु नरनाहु गउ घरु एव भणेप्पिणु ॥५॥ सीहासणि अत्थाणि निविढें वसिकयनिरवसेसभूवालें हक्काराविवि पालियसिढ़ें। आरक्खिउ पउत्तु पयपालें। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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