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सिरिचंदविरइयउ
[४. १६. १७घत्ता--इय चितंतु पयत्तें तं पालतें तग्गयमणु जाणेवि हउ ।
सरहिँ सरेण सिरीवइ किउ दूमियमइ कहव कहव नियनिलउ गउ ।।१६।।
हेला--थिउ सेज्जाए सव्ववावारनिध्वियारो।
सिद्धिं झायमाणु नं कोई जोईसरो।। लच्छीमइदंसर्ण कित्तिसारु
जिह जायंधरि वीरावयारु। तिह ताहे सलोयणिजणियताउ
कामेण गलत्थिउ सुट्ठ राउ । जरु हूउ मिरारिउ मुयइ सास
परिसुसइ वयणु वड्ढइ पियास । ५ जिह जिह किज्जइ डाहोवयारु
तिह तिह अइयारु डहेइ मारु । कंचुइणामच्चवरेण तासु
परिपुच्छिउ परियाणेवि सासु । कह एहावत्थह हेउ देव
कि मज्झु वि गोवहि भुवणसेव । काह वि पहु तुहुँ अासत्तचित्तु
मुणिो सि मया चिण्हहिँ निरुत्तु । ता कहिउ असेसु वि तेण तासु
अहवा सहुँ गुरुणा गोप्पु कासु। १० एत्थंतरि समउ पहाणएहिँ
जाएवि तत्थु बहुजाणएहिँ ।। मइवइणा मग्गिउ बुद्धधम्म
दिज्जउ लहु कन्नारयणु रम्मु । दिहि वट्टइ महुरावइहे जेण
तं वयणु सुणेप्पिणु भणिउ तेण । जइ लेइ धम्मु बुद्धोवइठ्ठ
तो करमि सव्वु जं तहां मणिठ्ठ । ता तं पि करेवि महत्थवेण
परिणिय सा सुंदरि पत्थिवेण। ५१ घत्ता--पोमावइ व फणिदहा सइ व सुरिंदो राहवचंदही नाइँ सिय।
सा तहो खवयही खंति व सुयणहो संति व रइव सरहो संजाय पिय ॥१७॥
हेला--संजाउ अईव पेमाणुरायबंधो।
किउ राएण ताहे महएविपट्टबंधो ।। कहिँ सा कहिँ एवंविहु पहुत्तु
अह अलिउ होइ कि रिसिपउत्तु । किं एत्तिउ एउ भणंति जोइ
तन्नत्थि जं न पुणेहिँ होइ । कीलंतहो रइरसरंजियासु
गउ समउ ताण छम्मास तासु। ५ सत्तमइँ मासि वियसियसरम्मि
आसन्निहूइ नंदीसरम्मि। कोमुइयजन्नपत्थावि ताण
विन्नविउ नराहिउ नियसहाए संपइ पढमं महँ बुद्धदेव
रहु भमउ देहि आएसु देव। तं सुणिवि तेण निरु निम्मलाहे
वाराविउ रहवरु प्रोविलाहे । ता ताण गपि गुरु तवपयत्तु
विन्नविउ नवेप्पिणु सोमयत्तु । १० १७. १ देउ । २ जायवचंदहो ।
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