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४. १६. १५ ] ,
कहकोसु अच्छतो अच्छमणो विगयावरणो निरिक्खिदो तीए । कयकरुणा विइन्नो आणेदेणं पलालेसा ॥१८॥ पासम्मि वालिदोग्गी ........... कम्मोवसमवसाए पणामपुव्वं कयं सव्वं ॥१९॥ मुणिणा वि मुणेवि तदो भवियव्वं पेच्छिऊण तह भत्तिं । कहियाइँ अणुवयाइं साणत्थमियाइँ सहलाई ॥२०॥ हिंसादिदोस कधिदे दुक्खसंदोहभीदचित्ताए । इटुं मुणिउवइट्टं ता गहिदं ती भत्तीए ॥२१॥ उव्वरियपावसेसा सा एह मरिवि एत्थ संजाया । सायरयत्तस्स सुया वणिणो दारिद्दिणी नाम ।।२२।। संपत्ते पंचत्ते ताए पावेण संपया नट्ठा । परकम्मं च जणेरी करइ इमा एम निव्वहइ ॥२३।।
[ गाहा कडवयं ] घत्ता--कियसुकियस्स पहावें उज्झियतावें कइवय वरिसहिँ नाइँ सिय ।
सयलंतेउरसारी पाणपियारी होसइ महुरावइहे पिय ॥१५॥ ५०
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हेला-एउ सुणेवि भिक्खुणा चिंतियं निरुत्तं ।
होइ कयाइ नन्नहा साहुणा पउत्तं ॥ बुद्धधम्मनामेण बालिया
वाहरेवि सा दुहकरालिया। गलगलंतभूप्रोहकुच्छिया
पीणिऊण भिक्खाण पुच्छिया । कहिँ तुहच्छए पुत्ति मायरी
कहहि एहि लहु महु सहोयरी। गंपि ताण ता तहो महालए
कहिय माय कम्मति बालए। मिलिय एह महु कह व सुंदरी
बहिणि जोयमाणस्य सोयरी । कहिवि एउ लोयहो सपुत्तिया
निय विहारु तेणुवहिदत्तिया। चारुकतिभारेण भासुरं
परमरूवरंजियसुरासुरं । करिवि कुसलवेज्जोवएसियं
ताह तारिसंगं वरं कियं । सुंदरम्मि संजाय जोव्वणे
माहणस्स मयणुच्छवे दिणे । सव्वजणमणं मोहयंतिया
सहुँ सहीहि दोलंतिया तिया । निग्गएण बहि सा मयच्छिया
माहुराण नाहें नियच्छिया । चिंतियं च किं कामसोयरी
नायकन्न अहवेह किन्नरी। रंभ उव्वसी किं तिलोत्तमा
मीणई सई किं वई उमा।
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