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________________ [ ४५ ४. १६. १५ ] , कहकोसु अच्छतो अच्छमणो विगयावरणो निरिक्खिदो तीए । कयकरुणा विइन्नो आणेदेणं पलालेसा ॥१८॥ पासम्मि वालिदोग्गी ........... कम्मोवसमवसाए पणामपुव्वं कयं सव्वं ॥१९॥ मुणिणा वि मुणेवि तदो भवियव्वं पेच्छिऊण तह भत्तिं । कहियाइँ अणुवयाइं साणत्थमियाइँ सहलाई ॥२०॥ हिंसादिदोस कधिदे दुक्खसंदोहभीदचित्ताए । इटुं मुणिउवइट्टं ता गहिदं ती भत्तीए ॥२१॥ उव्वरियपावसेसा सा एह मरिवि एत्थ संजाया । सायरयत्तस्स सुया वणिणो दारिद्दिणी नाम ।।२२।। संपत्ते पंचत्ते ताए पावेण संपया नट्ठा । परकम्मं च जणेरी करइ इमा एम निव्वहइ ॥२३।। [ गाहा कडवयं ] घत्ता--कियसुकियस्स पहावें उज्झियतावें कइवय वरिसहिँ नाइँ सिय । सयलंतेउरसारी पाणपियारी होसइ महुरावइहे पिय ॥१५॥ ५० ४५ ५ हेला-एउ सुणेवि भिक्खुणा चिंतियं निरुत्तं । होइ कयाइ नन्नहा साहुणा पउत्तं ॥ बुद्धधम्मनामेण बालिया वाहरेवि सा दुहकरालिया। गलगलंतभूप्रोहकुच्छिया पीणिऊण भिक्खाण पुच्छिया । कहिँ तुहच्छए पुत्ति मायरी कहहि एहि लहु महु सहोयरी। गंपि ताण ता तहो महालए कहिय माय कम्मति बालए। मिलिय एह महु कह व सुंदरी बहिणि जोयमाणस्य सोयरी । कहिवि एउ लोयहो सपुत्तिया निय विहारु तेणुवहिदत्तिया। चारुकतिभारेण भासुरं परमरूवरंजियसुरासुरं । करिवि कुसलवेज्जोवएसियं ताह तारिसंगं वरं कियं । सुंदरम्मि संजाय जोव्वणे माहणस्स मयणुच्छवे दिणे । सव्वजणमणं मोहयंतिया सहुँ सहीहि दोलंतिया तिया । निग्गएण बहि सा मयच्छिया माहुराण नाहें नियच्छिया । चिंतियं च किं कामसोयरी नायकन्न अहवेह किन्नरी। रंभ उव्वसी किं तिलोत्तमा मीणई सई किं वई उमा। १० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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