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सिरिचंदविरइयउ सो हउँ निव नामें सोमयत्तु
बुद्धिा गंथत्थहँ पारु पत्तु । ५ तहिँ तायपसाएँ सुहसया
माणंतो बहुवरिसइँ गया। चितिउ मणि मइँ एक्कहिं दिणम्मि धी धी एहउ जीविउ जणम्मि । जं अज्ज वि जणणविढत्तु वित्तु
बलि किउ विद्दवमि अलज्जचित्तु । सव्वो वि को वि तायो धणेण
टिट्टिरि जणु करइ विढत्तएण । सभुयज्जिउ भुंजहिँ जे पवित्त
ते विरला जणणि जणेइ पुत्त । १० इय लोयाहाणउ मग्गु जाउ
लइ दूरुज्झमि आलस्सभाउ । उज्जमु करेवि कयलच्छिसोहु
भुवणम्मि पयासमि नियगुणोहु । इय चितवि हउँ निग्गउ घराउ
आयन्नवि परमगुणाणुराउ । नयधम्म अणोवमु चाउ भोउ
तव कित्ति थुणंतु समग्गु लोउ । पुहईपिय दूरुज्झियसहाउ
तेणेत्थु गुणंतरवेइ याउ । घत्ता--प्रावेप्पिणु नियमामहो गेहे सनामहो थियउ सुभूइहे तणइँ पहु।
सो मइँ भणिउ सराएँ समउ सराएँ कारावहि दसणु दुलहु ॥४॥
हेला--पुणु पुणु पयत्तहो वुत्तु तो वि तेणं ।
___ मज्झं तुमं न दाविप्रो देव गविएणं ॥ अहवा परकज्जे कासु कज्जु
सव्वो वि जयम्मि सयज्जि सज्जु । परमेसर अहिमाणट्ठिएण
तव दंसणसोक्खुक्कंठिएण । मइँ दुत्थियदुहसंदोहनास
किउ गहिलवेसु विसमारितास । - ५ नाणाविणोयकीलावसेहिँ
जणमणु मोहंतउ नवरसेहिँ । एत्थच्छमि नयरि नरिंदसीह
करमाणु तुहारी दंसणीह । संपत्तु जम्मफलु मइँ मणोज्जु
तं दिट्रो कह व जि अज्ज अज्जु । संसारविसमविसतरहलाई
वेन्नि जि गुणिगणियइँ निम्मलाई । जं सुंदरकव्वरसाणुसाउ
सहुँ सयणहिँ संगमु पहयताउ। १० सो अज्जु महामइ मझु जाउ
जं दिलृ देव तुहुँ गुणनिहाउ । घत्ता--प्रउ सुणिवि नरिंदें परमाणंदें सहँ सहाण परमायरेण ।
संसेवियसाएँ परमपसाएँ परिपुच्छिउ परमायरेण ॥५॥ हेला–अणुवमगुणगणालो मुणेवि सव्वतोसो।
अइसयमइमहल्लयो किउ महंतनो सो॥ हुउ सव्वदेसपरियणपहाणु
अहवा को वारइ चिरविहाणु । राउ वि तेणुत्तउ करइ सव्वु
नउ चित्तं तो वि तहो कि पि गब्बु । ५. १ संसेवियकसाएं।
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