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सिरिचंदविरइयउ
[ २. १३. १
१३
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एयारहंगसुयसायरासु
वच्छल्लमहागुणसायरासु । नीसेसवत्थुसंसयहरासु
पव्वइयां संपइ गणहरासु । दुद्धरपरिपालियसंजमासु
भवसेणनाममुणिपुंगवासु । कि वंदणाण कि पि वि न तासू
पट्ठवह साहु संघाहिवासु । निसुरणेप्पिणु भासिउ भावयासु
पभणइ मुरिण परमावहिपयासु। ५ भो अभवसिद्धि मिच्छोदएण
वामोहिउ भो मोहियजएण । सम्म सद्दहइ न जइणसुत्तु
तहो तेण पणामु ण होइ जुत्तु । साविय वि सव्वसंदेहचत्त
कुच्छियगुरुदेवायमविरत्त । सम्मत्तसुद्ध निम्मल मणेण
तहे पेसिउ आसीवाउ तेण । मुरिणवयण सुरिणवि किंचि वि सखेउ चिंतइ मरिण खयरु न घडइ एउ । १० पेच्छह तवसीण वि रायदेसु
जं साविय वर किय मुणिकुलेसु । अह एण वियप्पे किं किएण
गुणगुरु भुवणयलि ससंकिएण । इय चितिवि गउ नहे पवणवेउ
संपत्तउ तं पुरु पउरकेउ । घत्ता-ता तहि तेण विउव्वियइँ बंभाइयदेवहँ रूवइँ। विज्जपहावें चउदिसहि जणवयमणविभयभूयइँ ॥ १३ ॥ १५
१४ पयडीकरंतु नियनियविहोउ
गउ भत्तिहरिसवसु सव्वु लोउ । अन्नहिँ दिणि किउ अरहंतवेसु
तो वंदणाण अमुणिय विसेसु । भवसेणु सव्वसंधे समेउ
गउ ज़ारिणऊण तित्थयरदेउ । संसारमहादुहदाइयाहँ
दट्ठव्वु काइँ रुद्दाइयाहँ। वारणारसिरायो तणउ पुत्तु
जो बंभु सो हु कालें समत्तु । नव विण्हु रुद्द एयारसेव
ते कालें कवलिय सावलेव । तित्थयर ते वि चउवीस सामि
गय मोक्खहो सव्वदुहोवसामि । निच्छउ मायाविउ को वि एहु
जणमणहो जेण संजणिउ खोहु । इय भणिवि न गइय विवेयखाणि
थिय रेवइ रेविवि लोयवाणि । घत्ता-ता तहिँ अवसरि खेयरण विभियमणेण चिंतिज्जइ। १० वामोहिउ जणु सयलो वि मइँ पर तो वि न तहे मणु भिज्जइ ॥ १४ ॥
१५ महरिसि वि समागय वीयराय
पर एक्क ण वरुणनरिंदजाय । लइ करमि को वि अज्ज वि उवाउ परियाणमि जें तहि तणउ भाउ ।
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