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२. ८. १०. ] ,
कहकोसु घत्ता-सो तेहावत्थान मइँ पालोवि विभियचित्तें।
किमिउ किमत्थें किं करिउ पुच्छिउ कह सव्वु पयत्तें ॥६॥
१०
पयासिउ तेण जयम्मि पयासु
इहत्थि वणिंदु परो जिणदासु । स सावउ सव्वगुणोहनिवासु
अमच्चु सया हउँ बंभणु तासु । तिणा महुँ अक्खिउ एउ विहाणु
विइण्णिउ मंतु नहंगणजाणु। निएवि अहो हउँ पाणवसाणु
पकंपमि' भाउय साहयमाणु । वणीसहुँ केम वि बोल्लु असच्चु
हवेइ असंसउ तो महु मच्चु । ५ महामइ धम्मपरो समभावि
न सेट्टि असच्चु चवेइ कया वि। विचितिवि एउ मणम्मि वि जाइ
पउत्तु मया जइ वीहहि भाइ। पयच्छहि तो महुँ मंतुवएसु
करेमि वियाणमि जेण विसेसु । तो लहुमेव समप्पिउ तेण ।
मया वि पडिच्छिउ एयमणेण। विसिप्पिणु सिक्का संक मुएवि
करेण किवाणसुया सिय लेवि । १० तिवारउ मंतु महंतु भणेवि
समग्गु वि तं सहसत्ति लुणेवि । नभोगइ साहिय विज्ज तुरंति
समागय पेसणु देहि भणंति । घत्ता-भणिय सुरिंदगिरिदं मइँ वंदावहि नेवि जिणालय ।
सुरसुंदरि सव्वायरण दक्खालहि जिणदासहो पय ।। ७ ॥
पंडुयवणि पंडुयपंडुरीउ
सउमणसि सुमणसिमहासिरीउ । नंदणवणि प्राणंदियतिलोउ
सिरिभद्दासालि सुभद्द जोउ । वंदाविवि देउ दयानिवासु
एत्थाणिउ विज्जए तुज्झ पासु । हुउ गुरुविणेयसंबंधु एव
एवहिँ संभवइ परत्थु जेव । तिह करहि सामि सव्वोवयारि
देवावहि तउ जो दुक्खहारि। ५ ता तत्थायउ तवसिरिनिकेउ ।
चारणमुणि दमवरनामधेउ । जाणिप्पिणु [तें तहो] कम्महाणि
[मुरिणदिक्ख दिन्न दुक्खावसाणि ।] कइलासे सेलि सिलेसि जाउ
हुउ उभयभठ्ठ बंभणु वराउ । घत्ता–एउ वियाणिवि देवगुरुधम्मायमि संसयचत्तउ ।
जो होसइ सो भव्वयणु पावेसइ मोक्खु महंतउ ॥ ८ ॥ १०
७. १ कंपमि। २ सच्चु ।
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