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१४ ] सिरिचंदविरइयउ
[ २.४.७-- निड्डहियचउग्गइकाणणाइँ
चउसु वि दिसासु चउराणणाइँ । केण वि कयावि न कयाइँ जाइँ
जिणबिंबइँ जिणभवणाइँ ताई। पंडुयवणि सउमणसम्मि जेम
नंदणवर्ण वंदावेवि तेम । आणिउ सिरिभद्दासालनामि
उज्जाणि जइणभवणे हिरामि। १० घत्ता-तत्थ नमंतहा देउ तहो सुहमइ झाणम्मि निविट्ठउ ।
देवदिसिहि सव्वण्हुधरी दिट्ठीवहि सेट्ठि पइट्ठउ ॥ ४ ॥
५
ता झत्ति पदक्खिण देवि आसु
विन्नविउ नवेप्पिणु अरुहयासु । गुरु तुहुँ महु हउँ तव तणउ सीसु दरिसावहि पहु धम्मोवएसु । ता काउस्सग्गु मुएवि तेण
पुच्छिज्जइ वणिजणणायगेण । कह गुरुविणेयसंबंधु केम
आहासइ सो पुणु वित्तु जेम । सिरिविजयनयरि अरिमंथु राउ
सुंदरि महएविहे तेण जाउ ।। दुल्ललिउ ललिउ नामेण पुत्तु
बहुखुद्दविज्जदुव्वसणभुत्तु । अयरिसकरणंजणु कहिमि नाउ
सो तेणंजणथेणो त्ति णाउ । जाणेवि जणेरें दुट्ठभाउ
नीसारिउ रायगिहे समाउ । सो हउँ जणदव्वु हरंतु जाम
तहिँ अच्छमि एक्कहिँ दियहे ताम । अंजणसुंदरिवेसाण वुत्तु
तो तुहुँ महु निच्छउ होहि कंतु। १० जइ छिण्णिवि णिवसम्माणियाह
वरहारु समप्पहि राणियाहे । निसि निववहुकंठहुँ लेवि हारु
निग्गउ राउलहो सवेयचारु । तत्तएँ असिवरफरकरेहिँ
निग्गंतु नियच्छिउ तलवरेहिँ । __ घत्ता–हुउ कोलाहलु अइबहुलु नरवइपाइक्कसहासहि ।
अच्छोडियसरधोरणिहि संदाणिउ चउहि मि पासहि ॥ ५॥ १५
ता चिंतिउ णिग्गमणह उवाउ सारेविणु पेसणु गहियमोस एत्तहिँ वि देहिदेहावसाणु तहिँ जामि भमंतु भमंतु जाम वडविडविमूलि नाणापयारु कयअट्ठविहच्चणु पाउहोहु साहाण पउरपायहि समाणु पुणु पुणु नरु एक्कु महीरुहग्गु
असणु हारु मुएवि जाउ। गय सुहड नियत्तिवि घरु सतोस । पुरबाहिरि जहिँ भीसणु मसाणु । गिरिसिहरी नियच्छमि चोज्जु ताम । उद्घाणणु धरिउ फुरंतधारु।। एक्केक्कदिसाण दिसाण जोहु । विणिबद्धउ सिक्कउ लंबमाणु । उत्तरइ चडइ णावइ पक्गु ।
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