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________________ . ३७० ( ८२ ) ४. कूर्चवार मुनि की कथा-पाटलिपुत्र में मौर्यवंशी अशोक राजा, अशोकश्री महा देवी, कूर्चवार पुत्र । वरधर्म मुनि का आगमन । धर्म श्रवण और मुनिवत ग्रहण । जल में अपनी छाया देखने पर मुनि की महिला द्वारा व्रतभंग की भविष्यवाणी। ५. जहां स्त्री न दिखे ऐसे स्थान पर तप करने का निश्चय । गिरिशिखर गमन । उधर पाटलिपुत्र पर शत्रु का अाक्रमण । कूर्चवार को मनाकर लाने के लिये धीरमति वेश्या का प्रेषण । ६. वेश्या का प्रायिका वेश धारण । पर्वत तल में प्रौढ़ वेश्या को रखकर शेष सहित पर्वतारोहण । मुनि की वन्दना । एक वृद्ध पार्यिका पर्वत पर चढ़ने में अशक्त, किन्तु वन्दना की इच्छुक होने का निवेदन । मुनि का पर्वत तले पागमन व महिला द्वारा प्रलोभन से व्रतभंग । गृह प्रागमन । शत्रु का पराजय ।। ७. पाराशर का कथानक । गजपुर का राजा संवर । जयंतीपुर के राजा विश्वसेन की पुत्री तपकी से विवाह, इस प्रतिबंध सहित कि उसके ऋतुमती होने पर पति कहीं न जाय व जाय तो शीघ्र आ जाय । उधर इन्द्र की सभा में ब्रह्मा, विष्णु, महेश सहित सब देवों की सभा। ८. संवर का इन्द्र की सभा में गमन । उसी समय रानी का ऋतु-स्नान । संदेश । राजा का प्रति-संदेश-कार्य गुरुतावश अशक्यता । ६. रानी द्वारा शुक के गले में पत्र बांधकर प्रेषण । राजा का पुटिका में शुक्र प्रेषण । लौटते समय शुक की श्येन से झड़प वा गंगाद्रह में पुटिका पतन । शुक का मत्स्य मुख में प्रवेश व गर्भ । मछुए द्वारा मत्स्य बंधन व उसके उदर से बालिका की प्राप्ति । बालिका का यौवन । मत्स्यगंधा नाम । ऋषि पाराशर का आगमन । मत्स्यगंधा द्वारा नौका मानयन । नदी के मध्य ऋषि की कामवेदना । मत्स्यगंधा का विरोध । ऋषि का आग्रह । तप के माहात्म्य से बालिका का दि यवेष, योजनव्यापी सुगंध । गगन धूम से प्रच्छादित व नदी के मध्य पुलिन का आविष्कार । समागम । ध्यास की उत्पत्ति । पुत्र का पिता के साथ गमन । योजनगंधा की आपत्ति । व्यास की स्मरण मात्र से माता के पास आने की प्रतिज्ञा । शान्तनु का अनुराग । पुत्र (भीष्म) द्वारा व्यवस्था से विवाह । तीन पुत्रों का जन्म । चित्र, विचित्रवीर्य और चित्रांगद । उनका अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका से विवाह । योजनगंधा द्वारा व्यास का स्मरण व पुत्रोत्पादन । उनमें से धृतराष्ट्र से कौरवों और पाण्डु से पाण्डवों की उत्पत्ति ३७० ३७० ३७१ ३७२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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