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प्रकाशकीय निवेदन
सदरहू आलाप पद्धति नामक पुस्तक न्यायशास्त्रका मूल प्रारंभ प्रवेशिका ग्रंथ हैं। आजकल मुमुक्षु समाजमें न्याय शास्त्रोंका पठन पाठन करनेकी अभिरुचि बढती जा रही है। जैन आगममें प्रवेश करने के लिये प्रथम जीवादि पदार्थोका द्रव्य-गुण-पर्यायप्रमाण नय इनका प्राथमिक ज्ञान होना नितांत आवश्यक है ।
इस ग्रंथका हिंदी अनुवाद श्री. पं. भुवनेंद्रकुमार शास्त्री (बांदरी निवासी) इन्होने तयार कर इसका प्रकाशन तथा प्रचार करने के लिये आर्थिक सहयोग भी प्रदान किया हैं। इसलिये यह संस्था उनकी सदैव ऋणी है । तथा इस ग्रंथका मुद्रण कार्य मुद्रण सम्राट प्रेस सोलापूर के संचालक इन्होने अल्पकालमें सुचारु रुपसे संपन्न किया इसलिये यह संस्था उनकी आभारी है।
अंतमें इस ग्रंथका पठन पाठन कर मुमुक्षु जीव आत्मलाभ करे।
इस पवित्र भावनाके साथ
भवदीय रतनचंद शहा मंत्री जीवराज जैन ग्रंथमाला
सोलापूर.
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