________________
प्रस्तावना प्रभाते अने सांजे अवश्य करवा जेवू तेने आवश्यक कहे छे. अने तेने ज प्रतिक्रमण कहे छे. आत्माना विकासने लक्ष्यमा लइने जो प्रत्येक क्रियाओ करवामां आवे तो सम्यक्त्व, चारित्र वगेर गुणोनी शुद्धि थतां ते करनार मोक्ष मेळवी शके छे माटे आ आवश्यक क्रियाने शास्त्रमा आध्यात्मिक क्रिया कही छे. ___आ क्रिया पांच प्रकारे कही छे. दैवसिक, रात्रिक, पाक्षिक, चौमासिक अने सांवत्सरिक. ज्यारे अहीं प्रथमनी बेज बताववामां आवी छे. . १ सामायिक, २ चतुर्विशतिस्तव, ३ बांदगां, ४ प्रतिक्रमण,
५ कायोत्सर्ग, अने ६ प्रत्याख्यान आ छ अध्ययनरूप होवाथी प्रति__क्रमणना छ आवश्यक छे.
उपर्युक्त सामायिक आदिनो अर्थ सामान्य रीते विचारतां जणाय छे के, आ आवश्यक क्रिया करवाथी आश्रवनो निरोध थतां, संवरनी प्राप्ति अने तृष्णानो नाश थाय छे अने तेटलो वखत अवश्य समभाव प्रकट थता, अनुक्रमे ते क्रिया करनार मनुष्य मुक्ति मेळवी शके छे.
आ ग्रन्थना मुख्य आश्रयदाता सेवाभावी मुनिश्री विद्याचंदजी महाराजना सदुपदेशथी बीकानेर निवासी शेठ श्रीमान् बाबू हजारीमलजी नथमलजी संपत्तलालजी, मूळचंदजी रामपुरीयाए तेमनां छपातां पुस्तक उपरथी ५००) कोपी वधारे काढवानी अनुमति आपवा माटे
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org