SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 413
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३९१ नर्तकीओए हाव, भाव अने विभ्रमना प्रकारवाळा अंगना विक्षेपे करीने नृत्य करवा पूर्वक बंदना करो छे, के जे नृत्य वखते वांसळीनो शब्द, वीणानो स्वर अने पटहादिकनो ताळ मेळववामां आव्यो हतो, त्रिपुष्कर नामना वाजिंत्रनो मनोहर शब्द मिश्र करवामां आव्यो हतो, सर्व प्रकारना शब्द सांभळी शकाय तेम सर्वना कान सावधान थया हता, षड्ज स्वरवडे शुद्ध गीत गातां पगमां बांधेली घुघरीओना शब्दथी नृत्यादिकनी संभावना करवामां आवती हती, तथा ते नृत्य कंकण, कटिमेखळा, कलाप अने नूपुरना मनोहर शब्दथी मिश्र हतुं. आवा त्रण जगतना सर्व प्राणीओने शांति करनारा अने पाप, द्वेष विगेरेथी मुक्त थयेला उत्तम श्रीशांतिनाथ जिनने हुं नमस्कार करूं छं. ३०-३१. श्री अजितनाथ तथा शांतिनाथनी स्तुति ૧ ૨ ૩ छत्तचामरपडागजू अजवमंडिआ, झयवरमगरतुरयसिरिवच्छमुलंछणा । ७ दीवस मंदर दिसा गयसोहिया, सत्थियवसहसीहरहचक्कवरंकिया || ३२ || ललिअयं ॥ १ नानी ध्वजा २ यज्ञ स्तंभ. ३ सिंहादिना चित्रवाळो मोटो ध्वज ४ उत्तम पुरुषना वक्ष स्थळ ( छाती ) मां आ लक्षण होय छे कोइने पगमां पण होवानो संभव छे. ५ जंबू द्वीप वगेरे द्वीप अने लवण समुद्र वगेरे समुद्र जाणवा. ६ मंदिरं एवो पाठ होय त्यां " प्रासाद" एवो अर्थ करवो. ७ मेरु पर्वतनी आसपास चारे दिशाएं हस्तिना आकारना करीकुटो भद्रशाळ वनमां छे ते. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001362
Book TitlePanch Pratikramana Sarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokaldas Mangaldas Shah
PublisherShah Gokaldas Mangaldas
Publication Year1942
Total Pages455
LanguageGujarati, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Ritual_text, & Ritual
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy