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नाणे ए आठ अतिचार, वलिय अनेरा घणा प्रकार; निवणा-सायण अंतराय, विसंवादने को कसाय ॥ ७ ॥ ____ अक्षर चाप्या चरणह हेठ, मुद्रागालण दोधी द्रेठ; नाणोपगरण आशातना, जे मे कीधी तसु भावना ॥८॥
सूक्षम बादर उभय प्रकार, जे मुजने लाग्या अतिचार; कर जोडी मस्तक नामीये, आ भव परभव ते खामीये ॥९॥
___ आ आठ अतिचार ज्ञानना जे अने बीजा पण घणा भेद थई शके ते, ओळववा-छुपाववां ने आशातन करवी, विशेष संवाद करवो, विवाद करवो विगेरे. ७
तथा पगनी नीचे अक्षर दबाववा, छाप आपवा भाटे दबाण कीg ज्ञान संबंधी उपकरणोनी जे आशातना थइ होय तेनी भावना. ८
झीणी रीते अथवा मोटी रीते जे कोइ दोष लाग्यो होय, तेनी हुँ बे हाथ जोडवा साथे मस्तक नमावी, आभव तथा परभवने विषे पण दोष खमार्बु छु. ९
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