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________________ ૬૭ भावार्थ-सावध व्यापारनो तथा दुनिनो त्याग करी रागद्वेषनुं निमित्त होय तो पण समभाव राखी मन, वचन, कायानी एकाग्रता राखवी ए सामायिक नामर्नु पहेलं शिक्षाव्रत एटले नवमुं व्रत छे. तेना पांच अतिचार आ प्रमाणे छे.-मनमां घर, दुकान विगेरेना कार्य संबंधी सावध व्यापारनुं चितवन करवू ते मनोदुष्प्रणिधान नामनो पहेलो अतिचार छे. १. कर्कश आदि सावध वचन बोलq ते वाम् दुष्प्रणिधान नामनो बीजो अतिचार छे. २. प्रमार्जन अने पडिलेहण नहीं करेली भूमिपर बेस, अथवा पादादिक अवयवो लांबा, टुंका विगेरे करवा ते कायदुष्प्रणिधान नामनो त्रीजो अतिचार छे. ३. बे घडीनो समय पूर्ण थया पहेलां सामायिक पारवं, अथवा जेम तेम (वेठनी जेम) सामायिक करवू, अथवा अवकाश छतां सामायिक न करवू ते अनवस्थान नामनो चोथो अतिचार छे. ४. तथा निद्रादिकनी प्रबळताने लीधे अथवा गृहादिकना व्यापारनी चिंताने लीधे शून्य मन थवाथी "में सामायिक कर्यु के नहीं ! आ सामायिकनो समय छे के नहीं ? " इत्यादि स्मरणमां न आवे तो ते स्मृतिविहीन नामनो पांचमो अतिचार छे. ५. आ पांचे अतिचारो जीवोने प्रमादनी बहोळताने लीधे अनाभोगादिकथी थाय छे. आ पांचमांथी कोइ पण अतिचार लाग्यो होय तेनी अहीं निंदा करेली छे. __ अहों कोइ शंका करे के-द्विविध त्रिविध सामायिकर्नु प्रत्याख्यान करवामां आवे छे एटले ग्रहण करवामां आवे छे. तेमां मन रोकी शकातुं नथी, तेथी मनवडे दुष्प्रणिधाननो एटले मनना अशुभव्यापारनो संभव होवाथी सामायिक व्रतनो अभाव ज थाय छे. अने व्रतभंग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001362
Book TitlePanch Pratikramana Sarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokaldas Mangaldas Shah
PublisherShah Gokaldas Mangaldas
Publication Year1942
Total Pages455
LanguageGujarati, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Ritual_text, & Ritual
File Size18 MB
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