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________________ ( ५६ ) अचानक एक छिपकली ऊपर से तरकारी में गिर गई। रात के अंधेरे में वह दिखाई नहीं दी। भिंडी के साथ वह भी पका दी गई। वह आदमी जब भोजन करने बैठा तो पहले ही कौर में छिपकली आ गई। वंह रसोई करने वाले नौकर पर गुस्सा होकर बोला- “क्यों रे नालायक, इस भिंडी का डंठल भी नहीं तोड़ा !' नौकर घबराकर बोला- "हुजूर, मैंने तो सभी __भिंडियों के डंठल तोड़े हैं, यह एक कैसे रह गई ?" - अब तो भोजन करने वाले ने ज्यों ही उसे तोड़ने के लिए रोटी का टुकड़ा, उस पर रगड़ा तो चार पैर दिखाई दिये। वह चिल्ला उठा-अरे यह क्या है ?" अँधेरा था, अच्छी तरह साफ नहीं दिखाई दे रहा था। नौकर . से झटपट लालटेन लाने को कहा। नौकर जल्दी लालटेन ले आया। लालटेन के उजाले में देखा तो एक दम हक्का-बक्का रह गया। उसके मुँह से अचानक चीख निकली-“अरे यह तो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org:
SR No.001360
Book TitleJain Bal Shiksha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year
Total Pages69
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size2 MB
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