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( ५४ )
अरिहन्त उत्तम, सिद्ध प्रभु उत्तम। साधु-जन उत्तम, जिन धर्म. उत्तम,
अरिहन्त सिद्ध प्रभु साधु-जन जिन धर्म
शरण, शरण। शरण, शरण।।
चार शरण अघ-हरण जगत में,
और न शरणा हितकारी। जो जन ग्रहण करें वे होते,
अजर-अमर पद के धारी।।
यह मंगल-पाठ सुबह पालथी आसन से बैठ कर, पूर्व की ओर मुँह कर, दोनों हाथ जोड़ कर
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