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मंगल-पाठ
१६
:
अरिहन्त
जय
सिद्ध प्रभु जय साधु-जन जय
जिन धर्म
जय
१
अरिहन्त
सिद्ध.
जय,
जय ।
मंगल,
मंगल।
साधु-जन
मंगल,
जिन धर्म मंगल T
( ५३
)
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प्रभु
· जय,
जय।।
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