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'आप क्या बात कहते हैं ? कलम के कान थोड़े ही हैं, जो मेरी लें और चली आएँ। बिना पैरों के सकती हैं ?'
दवात और आवाज सुन आ भी कैसे
'अच्छा दवात और कलम बिना कान के हैं, इस लिए सुन नहीं सकती। और बिना पैर के हैं, इसलिए चल भी नहीं सकती। इसी तरह आँख के बिना देख. नहीं सकतीं और नाक के बिना · सूंघ भी नहीं सकतीं न ?'
और
'जी हाँ, देख भी नहीं सकतीं नहीं सकतीं । दवात और कलम नाक कहाँ हैं ?' ।
सूंघ भी आँख तथा
के
'ठीक है, परन्तु रबड़ की बनी हुई आवाज दो, वह दवात
देखो, वह सामने मेज पर गुड़िया खड़ी है, उसे ही और कलम दे जायेगी ।'
"गुरुजी, आज आप भी कैसी बातें कर रहे हैं ! वह तो खिलौना है, भला कैसे सुन सकती है, और कैसे आ सकती है ?' ..
___ 'बेटा - जितेन्द्र !
अच्छी तरह सोच-समझ कर
बोलो।'
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