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सोमा सती यह बात बहुत पुराने जमाने की है। एक सेठ बड़े ही धर्मात्मा थे। वे जैन धर्म का पालन करते थे। रोज सुबह उठकर नवकार नवकार मन्त्र पढ़ना, सामायिक करना और गुरुदेव के दर्शन करना, उनका काम था।
सेठ साहब की एक बेटी थी, उसका नाम था सोमा। बह पिता के समान ही बड़ी लगन से धर्म का पालन करती थी। श्री गुरुदेव से, रोज सुबह उठ कर सामायिक करने का, उसने नियम ले लिया था।
बड़ी होने पर जब उसकी शादी हुई, तो ससुराल का घर अच्छा न मिला। ससुराल वाले धर्म के नाम तक से चिढ़ते थे, उन्हें जैन धर्म से तो बहुत ही नफरत थी। खास तौर से उसकी सास, न तो खुद धर्म करती थी और न दूसरे को करने देती थी।
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