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________________ और तभी लोगों ने देखा कि एक फैशनेबल रूप की रानी शृंगार से लदी तरुण नारी हाथ में मखमली पाकेट लिए उन अपंगों के बीच घूम रही है। बड़े प्रेम से पीड़ितों की पूछताछ करती है और किसी को दस का तो किसी को पाँच का नोट देती हुई आगे जा रही है। कोई नाम ठाम पूछे तो आँखें झुकाकर चुपचाप आगे बढ़ जाती है। . न कोई विज्ञापन, न कोई फोटो ! न आत्मख्याति की कामना ! लोग चकित होकर इस विचित्र नारी को देख रहे थे कि वह तन्मयता से अपना काम करती हुई आगे चली गई। जब पता चला तो देखने वाले और सुनने वाले चकित रह गए कि वह नारी और कोई नहीं, हैदराबाद (सिंध) की इकबाल वेश्या थी। कभी-कभी सभी के हृदय में बसने वाला राम ऐसे व्यक्तियों के हृदय में भी जग जाता है कि संसार देखता रह जाता है। जीवन अनन्त है । मृत्यु इसका अन्त नहीं कर सकती । डरो मत ! फिर मृत्यु का अर्थ क्या? __ मृत्यु सिर्फ तुम्हारे एक प्रयत्न का अन्त करती है, और वह प्रयत्न फिर कहीं, किसी रूप में प्रारम्भ हो जाता है। मृत्यु सिर्फ रूपान्तर है। जीवन उसमें बनी रहने वाली कड़ी है। तुम दूसरों के दोष बताकर स्वयं निर्दोष बनने का प्रयत्न मत करो। कीचड़ और कूड़ा अपने पर डालकर अपने को साफ-सुथरा समझना पहले दर्जे की बेवकूफी है। एक अंग्रेजी कहावत है—'ठंडे पैरों कोई स्वर्ग में नहीं जाता।' इसका तात्पर्य है कि सत्कर्म करते समय मन में उत्साह तथा दृढ़ता की आग जलती रहनी अमर डायरी - - - - - 75 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001353
Book TitleAmar Diary
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1997
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Spiritual, & Ethics
File Size8 MB
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