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मैंने बताया- बदली में-याने कर्मों के आवरण में ।
मेरे चांद-मेरी निर्मल आत्मा छिपी है।
ऐ आजा-तू अब प्रकट हो जा। सम्यक् चेतना, उपयोग शक्ति कहती है कि हे आत्मन् किस आवरण में छिपा है ? तू मेरे पास आ ! यानी शुद्ध ज्ञानोपयोग में आजा।
तो बात यह है कि हम प्रत्येक वस्तु को स्वच्छ दृष्टि से देखें।
जब नया विचार पुराने विचार से टकराकर आगे आता है, तो उसे फलने फूलने में बड़े संघर्ष झेलने पड़ते हैं। ___ जब पुराने विचार का सहारा लेकर नया विचार आगे बढ़ता है, तो वह शीघ्र जनता के दिल और दिमाग पर छा जाता है। उसमें नये का स्वाद और पुराने की ताकत, दोनों होते हैं।
नये और पुराने में तोड़ने का नहीं, जोड़ने का भाव होना चाहिए।
योगियों की भाषा में नाद और वेद का बड़ा महत्त्व है। अन्तर्मन की समाधि अथवा (ध्यान) में जो नि:शब्द अन्तर्मुख ध्वनियाँ टकराती हैं, उसे नाद कहा गया है। यह ध्यान का परिणाम है। . और बाह्य सृष्टि के निरीक्षण से जो अनुभव प्राप्त होता है, वह है ज्ञान ! ज्ञान का परिणाम है वेद।
ज्ञान-प्राप्ति की प्रक्रिया वेद है। अन्तर में लीन होने की प्रक्रिया ध्यान है।
शुद्धि के बिना सच्ची कल्याणकारी शक्ति नहीं हो सकती । शक्तिशाली तो डाकू भी होता है, किन्तु उसकी शक्ति विनाश में लगी हुई है।
अमर डायरी
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