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________________ है, दान में ममत्व का बोझ कितना हल्का हुआ? सामायिक में समभाव कितना जगा और तपस्या में कषाय कितनी मन्द पड़ी? यदि उस साधना में मोल है, तेज है, ओज है तो वह जीवन को नया मोड़ दे सकेगी, अलसाए प्राणों में नयी स्फूर्ति, नयी चेतना फूंक सकेगी। अन्यथा संख्या से कुछ नहीं होगा। अंग्रेजी में क्वालिटी (Quality) कहते हैं वही जैन-धर्म का मापदण्ड है, वह क्वान्टिटी (Quantity) कभी नहीं देखता। भगवान महावीर ने श्रेणिक को बताया कि तुम्हारे इतने बड़े साम्राज्य से भी अधिक मूल्यवान है पुनिया श्रावक की एक. सामायिक । एक सामायिक का मूल्य-करोड़ों साम्राज्य से भी अधिक है। चूँकि उसमें समता का तेज जगा है । ओज निखरा है। परिग्रह : चेतन और जड़ ___मुझे अपनी यात्रा का एक प्रसंग याद आ रहा है। हम कुछ सन्त विहार करते हुए चल रहे थे, पहाड़ी रास्ता था। साथ में एक वृद्ध सन्त थे, जिनकी साधना तीस वर्ष की थी और गर्व के साथ वे अपनी साधना के रोचक संस्मरण सुनाते जाते थे कि मैंने अपनी जिन्दगी के किस प्रकार कठिनाइयों के दुर्गम पहाड़ लाँघे हैं, कितने तप किए हैं ! वातावरण आनन्द में भीगा भीगा था कि यकायक उनका एक शिष्य पैर फिसलने से गिर पड़ा, उसके हाथ में पानी से भरा जो पात्र था, वह भी टूट गया। गुरु जी का क्रोध जाग उठा, शिष्य पर लगे बरसने-नालायक ! देखकर नहीं चलता, बिल्कुल नया पात्र फोड़ दिया। अब दूसरा नया पात्र यहाँ कहाँ मिलेगा? कैसा मूर्ख और लापरवाह है ! मेरा दिमाग सन्न रह गया, तीस वर्ष की कठोर साधना की बात करने वाला साधक भी इस प्रकार जड़ वस्तुओं के ममत्व से बँधा है कि वह थोड़ा-सा नुकसान हो जाने पर आपा भूल जाता है। वह चेतन, जिसके पैर में चौट आई, जिसे दर्द हुआ उसकी कोई चिन्ता नहीं, चिन्ता है उस जड़ पात्र की । 160 Jain Education International अमर डायरी www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only
SR No.001353
Book TitleAmar Diary
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1997
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Spiritual, & Ethics
File Size8 MB
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