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________________ ४८ अमर भारती दान ही है, जो जीवन - विकास के लिए आवश्यक ही नहीं, अपितु अनिवार्य भी है, अपरिहार्य भी है । आज के भाषण का विषय है- 'हमारी समस्याएँ ।' अभी आप लोगों सम्मुख तीन प्रवक्ता इस विषय पर बोल भी चुके हैं। मैं तो समझता हूँ कि आज का भाषण भी अपने आपमें एक समस्या ही है । कम से कम मेरा भाषण तो अवश्य ही मेरे लिए एक समस्या बन गया है । ग्यारह बज चुके हैं । आपको भी अब अपने घर की याद आ रही होगी । चौके की स्मृति आपको अस्थिर बना रही होगी । इस स्थिति में मेरा भाषण एक समस्या नहीं, तो और क्या है ? मेरा स्वास्थ्य भी कुछ अर्से से मेरे मन को तरंगों का साथ नहीं दे पा रहा है । आज यहाँ भी अस्वस्थ दशा में ही आया हूँ, और अब भाषण देने को कहा गया है । यह भी एक समस्या है । परन्तु एक बात सबसे अच्छी हुई । वह यह है कि भाष्य पहले ही लिखा जा चुका है, व्याख्याएँ और टीकाएँ पहले ही हो चुकी हैं । अब सूत्र रचना करना मेरा काम है। सतयुग में सूत्र पहले रचा जाता था और बाद में भाष्य, व्याख्या और टीकाएँ लिखी जाती थीं । लेकिन अब तो कलियुग है न । आज का समाज जिस पथ पर चल रहा है, आज का व्यक्ति जिस परिस्थिति में से जीवन यात्रा कर रहा है, आज का राष्ट्र जिस परेशानी में से गुजर रहा है - ये सब समस्याएँ हैं, उलझनें हैं । समस्याएँ जीवन में बहुरंगी और अनेक हैं । वैयक्तिक समस्याएँ, सामाजिक समस्याएँ, राष्ट्रीय समस्याएँ और आर्थिक समस्याएँ । मालूम पड़ता है, आज का जन जीवन समस्याओं में घुलता जा रहा है, पिसता जा रहा है। दिलों में धड़कन बढ़ रही है, दिमाग में तूफान उठ रहे हैं । राष्ट्र परेशान हैं, समाज हैरान है, व्यक्ति अपने आप में बेकरार है । चारों ओर से समस्याओं ने घेरा डाल रखा है । ये सब समस्याएं हैं, उलझनें, जिनका समाधान व्यक्ति, समाज और राष्ट्र माँग रहा है । मेरे विचार में सर्वत्र जो विग्रह, विद्रोह और कलह की आग जल रही है, उसे बुझाना - यही है, समस्याओं का समाधान / भावना की जहाँ आवश्यकता हो, वहाँ भावना से काम लेना सीखें और जहाँ विचार की जरूरत हो, वहाँ विचार करें । समस्याओं के समाधान का यही मार्ग है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001352
Book TitleAmarbharti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1991
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Epistemology, L000, & L005
File Size10 MB
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