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सत्पुरुष स्वयं ही अपना परिचय
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गुण सम्पन्न व्यक्ति के गुणों का उत्कीर्तन न करके चुप हो बैठ जाना अपनी वाक् शक्ति का एक असह्य कण्टक है । अर्थात् उसकी वाक् शक्ति व्यर्थ है । मैंने उस महान् साधक के चरणों में श्रद्धा के पुष्प चढ़ाकर अपनी वाणी के तप को सफल किया है ।
सोजत सिटो
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वसन्त पंचमी
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