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________________ आज का प्रजातन्त्र और छात्र-जीवन भारत की संस्कृति में शिक्षा के साथ दीक्षा को भी जोवन-विकास में परम साधन माना है। शिक्षा-शून्य दीक्षा और दीक्षा-विकल शिक्षादोनों व्यर्थ है। जीवन में दोनों की अनिवार्यता है। शिक्षा एक सिद्धांत है, तो दीक्षा उसका प्रयोग है। शिक्षा ज्ञान है, दीक्षा क्रिया है। शिक्षा विचार है, तो दीक्षा आचार । शिक्षा आँख है, तो दीक्षा पाँव । देखने को आँख और चलने को पांव हो, तभी जीवन-यात्रा शान्ति और आनन्द के साथ तय की जा सकती है। शिक्षा से बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास होता है और दीक्षा से दैहिक विकास होता है। आध्यात्मिक, नैतिक और दैहिक विकास करना, यही तो भारत की संस्कृति में शिक्षा का आदर्श है, शिक्षा का ध्येय बिन्दु है। मैं आपको प्रेरणा करता हूँ, आप शिक्षा और दीक्षा में समन्वय साधकर चलें। विचार, आचार और अनुशासन, छात्र-जीवन के ये साध्य तत्व हैं। विचार से जीवन में प्रकाश मिलता है, आचार से यह जीवन पवित्र बनता है और अनुशासन से जीवन सहिष्णु और तेजस्वी बनता है। आप लोग परस्पर सहकार रखें, अध्यापक-वर्ग का आदर करें। छात्र जीवन भावी जीवन की आधारशिला है। नींव मजबूत हो, तो उस पर भव्य भवन खड़ा किया जा सकता है। ( १३८ ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001352
Book TitleAmarbharti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1991
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Epistemology, L000, & L005
File Size10 MB
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