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________________ दिशा के बदलने से दशा बदलती है १२५ बिना ध्येय के कभी इधर और उधर भटकने से क्या कभी दशा सुधर सकती है ? मैं समझता हूँ, सन्त का समाधान सत्य के अति निकट है। जीवन की दिशा बदलने से दशा भी बदल जाती है। मूल बात है, दिशा बदलने की । पहले विचार करो, क्या बनना चाहते हो ? राम, कृष्ण, महावीर, बुद्ध या रावण, कंस, गोशालक, देवदत्त ? कवि के शब्दों में - "जो विचारो, सो बना लो, देव भी शैतान भी।" मनुष्य देव भी बन सकता है, और दैत्य भी? योग वासिष्ठ में कहा गया है-"मानसं विद्धि मानवम् ।" मनुष्य मनोमय है, संकल्पमय है। जैसा भी सोचेगा, बनता जाएगा । आवश्यकता इस बात की है, पहले वह अपना ध्येय स्थिर कर ले, फिर स्वीकृत पथ पर मजबूत कदमों से निरन्तर बढ़ता रहे। ध्येय को स्थिरता से मनुष्य की बिखरी शक्तियां एकत्रित हो जाती हैं । उसकी शक्ति का सन्तुलन हो जाता है । महात्मा गांधी एक दिन संसार का सर्वसाधारण मानव ही था। परन्तु उसने अपनी संकल्प शक्ति के बहुमुखी स्त्रोत को एक दिशा दी, एक मार्ग दिया । लम्बी साधना करता रहा। अपने विश्वास और उत्साह को मरने नहीं दिया। आज का ससार गांधी को मानव ही नहीं, महामानव तक भी कहता है । अपनी दशा, अपनी स्थिति स्वय मनुष्य के अपने हाथ में रहती है, चाहे जैसी बना सकता है । कोई सज्जन अपने घर से निकलता हो, कहीं जाने के लिए । मार्ग में मित्र मिला । पूछा-कहाँ चले जा रहे हो ? उत्तर मिला-कहीं नहीं, यों ही चलता आ रहा है। आप इस व्यक्ति को पागल के सिवा और क्या कहेंगे ? परन्तु वास्तविकता तो यह है कि संसार इस प्रकार के पागलों से भरा पड़ा है । जिन्दगी के हर मोर्चे पर आपको इस प्रकार के पागलों की एक बड़ी फौज मिलेगी । जीवन के क्षेत्र में चलते चले जा रहे हैं। न दिशा का पता है, न लक्ष्य का ज्ञान है, न ध्येय का भान है। मैं पूछता हूँ आप से? ऐसे लोगों की दशा कैसे सुधरेगी ! शान्ति और आनन्द के सघन मेघों की जीवन-क्षेत्र में वर्षा कैसे होगी? ___सामायिक कर रहे है, पर पता नहीं सामायिक के अर्थ का? पौषध कर रहे हैं, पर ज्ञान नहीं पोषध का । जप-तप करते हैं, पर बोध नहीं जप Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001352
Book TitleAmarbharti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1991
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Epistemology, L000, & L005
File Size10 MB
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