________________
१०८ अमर-भारती मूल कहाँ है ? और यह पल्लवित कैसे हुआ ? सबसे पहले मैं, राजनीति में प्रचलित पचशील पर विचार करूंगा। भारत की राजनीति का आधार पंचशील इस प्रकार है
राजनीतिक पंचशील
अखण्डता-एक देश दूसरे देश की सीमा का अतिक्रमण न करे। उसकी स्वतन्त्रता पर आक्रमण न करे। इस प्रकार का दबाव न डाला जाए, जिससे उसकी अखण्डता पर संकट उपस्थित हो । प्रभु-सत्ता-प्रत्येक राष्ट्र की अपनी प्रभु-सत्ता है। उसकी स्वतन्त्रता
में किसी प्रकार की बाधा बाहर से नहीं आनी चाहिए । ३. अहस्तक्षेप-किसी देश के आन्तरिक या बाह्य सम्बन्धों में किसी
प्रकार का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। ४. . सह अस्तित्व-अपने से भिन्न सिद्धान्तों और मान्यताओं के कारण
किसी देश का अस्तित्व समाप्त करके उस पर अपने सिद्धान्त और व्यवस्था लादने का प्रयत्न न किया जाए। सबको साथ जीने का,
सम्मानपूर्वक जीवित रहने का अधिकार है । ५. सहयोग-एक-दूसरे के विकास में सब सहयोग, सहकार की भावना
रखें । एक के विकास में सबका विकास है ।
यह है राजनीतिक पंचशील सिद्धान्त, जिसकी आज विश्व में व्यापक रूप में चर्चा हो रही है। 'शील' शब्द का अर्थ, यहाँ पर सिद्धान्त लिया गया है । पंचशील आज की विश्व राजनीति में एक नया मोड़ है-जिसका मूल धर्म भावना में है।
भारत के लिए पंचशील शब्द नया नहीं है। क्योंकि आज से सहस्रों वर्ष पूर्व भी श्रमण-संस्कृति में यह शब्द व्यवहृत हो चुका है। जैन परम्परा
और बौद्ध परम्परा के साहित्य में पंचशील शब्द आज भी अपना अस्तित्व रखसा है और व्यवहार में भी आता है ।
बौद्ध पंचशील
भगवान् बुद्ध ने भिक्षुओं के लिए पाँच आचारों का उपदेश दिया था,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org