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जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन
सिद्ध हो जाती है कि इनकी भाषा शुद्ध संस्कृत है, जबकि कुछ अन्य जैन पुराण प्राकृत एवं अपभ्रश में लिखे गये हैं । इस दृष्टि से प्रस्तुत प्रबन्ध में केवल संस्कृत में ही लिखे हुए-पद्म पुराण, हरिवंश पुराण तथा महा पुराण-जैन पुराणों को ही आलोचना का विषय बनाया गया है । उक्त पुराणों के आधार पर जो सामग्री उपलब्ध है, उसे अनलिखित अध्यायों में विभाजित किया गया है, जिससे तत्कालीन सांस्कृतिक परिस्थिति का ज्ञान प्राप्त होता है।
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