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________________ भौगोलिक दशा मुंगेर तक के भू-भाग को अंग कहा गया है।' बौद्ध-ग्रन्थ त्रिपिटक में अंग और मगध को एक साथ 'अंगमगधा' रखा गया है। अवन्ती : जैनेतर मत्स्य पुराण के अनुसार कार्तवीर्यार्जुन के कुल में अवन्ति नामक राजकुमार उत्पन्न हुआ था। उसी के नाम पर इस देश का नाम अवन्ती पड़ा । अवन्ती स्थूल रूप से आधुनिक मालवा, निगाड़ एवं मध्य प्रदेश में इनके निकटवर्ती भागों को द्योतित करती है। यह दो भागों में विभक्त था-उत्तरी भाग की राजधानी उज्जयिनी थी और दक्षिणी भाग की राजधानी माहिष्मती थी। अम्बष्ट' : इसे पद्म पुराण में अवष्ट कहा गया है । इसका उल्लेख बहुत से जनेतर ग्रन्थों में मिलता है। अम्बष्ठों का देश अवर चेनाव नदी की घाटी में स्थित था। अपरान्तक' : इसे अपरन्त या अपरान्त नाम से भी पुकारा जाता था। अशोक के पांचवें शिलालेख में अपरान्तक के अन्तर्गत योन, कम्बोज तथा गान्धार को भी सम्मिलित किया गया है । युवान्च्दाङ्ग के अनुसार अपरान्तक में सिन्धु, पश्चिमी राजपूताना, कच्छ, गुजरात और नर्मदा के दक्षिण का तटीय भाग (तीन राज्य सिन्धु, गुर्जर एवं वलभी) सम्मिलित थे। भरत सिंह उपाध्याय अपरान्तक में पश्चिमी समुद्र तट पर बम्बई या महाराष्ट्र के आस-पास से लेकर सुराष्ट्र एवं कच्छ तक के क्षेत्र को १. नन्द लाल डे-ज्योग्राफिकल डिक्शनरी ऑफ ऐंशेण्ट एण्ड मेडिवल इण्डिया, पृ० ७; स्मिथ-अर्ली हिस्ट्री ऑफ इण्डिया, पृ० ३२ २. दीघनिकाय ३।५; मंझिम निकाय २।३१७ ३. महा १६।१५२, ७१६२०८ ४. विमल चन्द्र लाहा-प्राचीन भारत का ऐतिहासिक भूगोल, लखनऊ १६७२, पृ० ५०७-५१५ ५. पद्म ३७।२३, १०१।८२ ६, वही १०१।०२ ७. ऐतरेय ब्राह्मण ७।२१-२३; महाभारत २०४८।१४; विष्णु पु० २।३।४८; वायु पु० ६६२२; मत्स्य पु० ४८।२१; ब्रह्माण्ड पु० ३१७४।२२; भागवत पु० १०॥८३१२३ लाहा-वही, पृ० ११० ६. महा १६३१५५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
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