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________________ ३६२ जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन हैं, उनमें से किसी एक निश्चित स्वरूप को ग्रहण करने वाला ज्ञान नय का बोधक है। [ii] नय : प्रकार एवं स्वरूप : नय के दो भेद हैं : द्रव्याथिकनय और पर्यायाथिकनय । इनमें से द्रव्याथिकनय यथार्थ है और पर्यायाथिकनय अयथार्थ । दोनों मूल नय हैं और परस्पर सापेक्ष हैं ।२ वस्तु के निरूपण की जितनी भी दृष्टियाँ हैं, उनको उक्त दो दृष्टियों में ही विभक्त किया जाता है। द्रव्याथिकनय में सामान्य या अभेदमूलक सभी दृष्टियों का समावेश हो जाता है। विशेष या भेदमूलक जितने भी नय हैं, उन सभी का समावेश पर्यायाथिकनय में होता है। हरिवंश पुराण में नय के सप्त भेद उल्लिखित हैं--नैगम, संग्रह, व्यवहार, ऋजुसूत्र, शब्द, समभिरूढ़ और एवंभूत । इनमें से नैगम, संग्रह तथा व्यवहार नय द्रव्यार्थिक नय के भेद हैं और ऋजुसूत्र, शब्द, समभिरूढ़ तथा एवंभूतनय पर्यायाथिक नय के प्रभेद हैं। इनके स्वरूप अधोलिखित हैं : (१) नैगम नय : पदार्थ के संकल्पमान का ग्रहण करने वाला नय ही नैगम नय है। उदाहरणार्थ प्रस्थ तथा ओदन आदि । (२) संग्रह नय : अनेक भेद और पर्यायों से युक्त पदार्थ को एकरूपता प्राप्त कराकर समस्त पदार्थ का ग्रहण करना संग्रह नय है, जैसे सत् या द्रव्य । (३) व्यवहार नय : संग्रह नय के विषयभूत सत्ता आदि पदार्थों के विशेष रूप से भेद करना व्यवहार नय है। (४) ऋजुसूत्र नय : पदार्थ की भूत-भविष्य पर्याय को वक्र और वर्तमान पर्याय को ऋजु संज्ञा प्रदत्त है। जो नय पदार्थ की भूत-भविष्य रूप वक्र पर्याय का परित्याग सरल सूत्रपात के समान मात्र वर्तमान पर्याय को ग्रहण करता है वह ऋजुसून नय संज्ञा से अभिहित है । - (५) शब्द नय : यौगिक अर्थ का धारक होने से लिंग, साधन (कारक), संख्या (वचन), काल और व्यभिचार को नहीं चाहता अर्थात् लिंग, संख्या आदि दोषों से वह सदा दूर रहता है। शब्द नय व्याकरणशास्त्र के अधीन रहता है। १. नयोऽनेकात्मनि द्रव्ये नियतकात्मसंग्रहः । हरिवंश ५८१३६ २. द्रव्याथिको यथार्थोऽन्यः पर्यायार्थिक एव च । ज्ञेयौ मूलनयावेतावन्योन्यापेक्षिणौ मतो॥ हरिवंश ५८३६-४० ३. हरिवंश ५८१४१-४२ ४. वही ५८१४३-४६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
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