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________________ आर्थिक व्यवस्था ३२७ की खपच्चियों से छाते बनाने वाले, चमड़े के सामान बनाने वाले (चर्मकार), माला बनाने वाले (मालाकार), तेल बनाने एवं बेचने वाले (गंधी) और लाक्षारस आदि से रंग बनाने वाले आदि उल्लेखनीय है ।' पद्म पुराण में यन्त्र निर्माण करने वालों का वर्णन मिलता है जो समुद्र का भी जल रोकने में समर्थ थे । २ ५. व्यावसायिक वर्ग : समाज में इस प्रकार के व्यावसायिक वर्ग थे, जिनको गुणों के आधार पर आजीविका उपलब्ध थी । ये समाज के एक विभाग का प्रतिनिधित्व करते थे। महा पुराण में छ: प्रकार के कर्मों में से एक कर्म विद्याकर्म है, जिसमें शास्त्र पढ़ा कर या नृत्य-गायन आदि आजीविका से जीवन निर्वाह करते थे । हरिवंश पुराण में विद्याकर्म से आजीविका चलाने वालों का उल्लेख उपलब्ध है। ___जैन आगमों के अनुसार इस वर्ग में आचार्य, चिकित्सक, वास्तुपाठक, लक्षणपाठक, नैमित्तिक, गांधविक, नट, नर्तक, जल्ल (रस्सी का खेल करने वाले), मल्ल (मल्ल युद्ध करने वाले), मौष्टिक (मुष्टि युद्ध करने वाले), विडंवकः (विदूषक), कथक (कथावाचक), तैराक (प्लवक), रास गाने वाले (लासक), आख्यापक, लंख (बाँस पर चढ़ कर खेल दिखाने वाले), मंख (चित्रपट लेकर भिक्षा मांगने वाले), तूण इल्ल (तूणा बजाने वाले), भुजग (संपेरे), मागध (गाने-बजाने वाले), हास्यकार, मसखरे, चाटुकार, दर्पकार, कौत्कुच्च (काम से कुचेष्टा करने वाले), राजभृत्य, छत्रग्राही, सिंहासनग्राही आदि आते हैं। गुप्तकाल में भी इसी प्रकार के पेशेवर लोगों का उल्लेख मिलता है। जैनेतर ग्रन्थ हर्ष चरित में हाथियों के पालन-पोषण एवं बिक्री करने वाले पेशेवर वर्ग का वर्णन उपलब्ध है। 0 १. महा १६।१८२, ३२।२६; हरिवंश २७।७१, ३८।६८, ५६।५७, ५५।६२, जगदीश चन्द्र जैन-वही, पृ० १४०-१५४ २. पद्म १०६८ ३. ...."विद्या शास्त्रोपजीवने । महा १६।१८१ ४. हरिवंश २७।४८, ४७।१११ ५. जगदीश चन्द्र जैन-वही, पृ० १५५ ६. भगवत शरण उपाध्याय-गुप्तकाल का सांस्कृतिक इतिहास, लखनऊ, १६६६, पृ० २४७-२५२ ७. वासुदेव शरण अग्रवाल-हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ० १२८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
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