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________________ ३२० जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन [ख] आजीविका के साधन महा पुराण में मनुष्य की आजीविका हेतु छः' प्रमुख साधनों का उल्लेख हुआ है, जिसमें असि (शस्त्रास्त्र या सैनिक वृत्ति), मषि (लेखन या लिपिक वृत्ति), कृषि (खेती और पशुपालन), शिल्प (कारीगरी एवं कलाकौशल). विद्या (व्यवसाय) एवं वाणिज्य (व्यापार) हैं। आदि तीर्थंकर ऋषभदेव के समय प्रजा वाणिज्य एवं शिल्प से रहित थी। इनमें से वाणिज्य का विवेचन पृथक् से आगे प्रस्तुत किया गया है । आजीविका के अन्य साधन अग्रलिखित हैं : १. असि वत्ति : पद्म पुराण के वर्णनानुसार समाज में कुछ लोग शस्त्रास्त्र के माध्यम से अपनी आजीविका चलाते थे इसके अन्तर्गत सैनिक, पुलिस, रक्षक आदि आते हैं। ये देश, समाज एवं व्यक्ति को शत्रुओं तथा असामाजिक तत्त्वों से सुरक्षा प्रदान करते थे। समाज के सम्पन्न एवं प्रतिष्ठित व्यक्तियों के पास रथ, हाथी, घोड़े और पैदल सिपाही रहते थे। महा पुराण में उल्लिखित है कि क्षत्रियों को शस्त्र शक्ति से अपनी आजीविका चलाने की व्यवस्था थी। २. मषि वत्ति : इस वर्ग के अन्तर्गत लेखक आते हैं। ये लोग राजाओं के यहाँ सरकारी लिखा-पढ़ी का कार्य सम्पन्न करते थे । कौटिल्य ने लिपिकों की योग्यता, गुण एवं कर्तव्यों का विस्तारशः विवेचन किया है ।" आलोचित जैन पुराणों में इनके विषय में विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है, तथापि इतना सुनिश्चित है कि राज्य में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान था। ३. कृषि और पशुपालन : आलोचित जैन पुराणों के अध्ययन से ज्ञात होता है कि उस समय लोगों का कृषि और पशुपालन ही जीविका का मुख्य आधार था। इसका पृथक् विवरण अग्रलिखित है : [i] कृषि : प्राचीन भारत में कृषि देश के आर्थिक जीवन का मूलाधार थी, जिस पर अधिकांश लोगों का जीवन आश्रित था। वर्तमान समय में भी १. असिमषिः कृषिविद्या वाणिज्यं शिल्पमेव च । कर्माणीमानि षोढ़ा स्युः प्रजाजीवनहेतवः ॥ महा १६।१७६, १६।१८१ २. पद्म ३।२३२ ३. रथकुञ्जरपादाततुरङ्गीघसमन्वितः ।। पद्म ६२।४० ४. क्षत्रियाः शस्त्रजीवित्वमनुभूय तदाभवन् । महा १६।१८४ ५. कौटिलीय अर्थशास्त्र, वाराणसी, १६६२, पृ० १४३-१४५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
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