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________________ राजनय एवं राजनीतिक व्यवस्था २०७ जितक्रोध, लोभ, मोह एवं मद से रहित, वेद के षडांगों का ज्ञाता, धनुर्विद्या में पारंगत तथा धर्म का ज्ञाता, स्वराष्ट्र एवं परराष्ट्र नीति का मर्मज्ञ होना चाहिए।' मानसोल्लास में राजपुरोहित को त्रयी विद्या, दण्डनीति, शक्तिकर्म आदि गुणों का ज्ञाता वर्णित है ।२ डॉ० अल्तेकर का मत है कि वह राजधर्म और नीति का संरक्षक होता था। उसके अधीन धर्मार्थ विभाग होता था। इस विभाग के अधिकारी को मौर्य काल में धर्म-महामात्य, सातवाहन युग में 'श्रवण-महामात्र', गुप्त काल में 'विनयस्थिति स्थापक' और राष्ष्ट्रकुल युग में 'धर्मांकुश' वर्णित किया है । (I) अमात्य : जैन पुराणों के अनुशीलन से ज्ञात होता है कि राज्य में अमात्य का पद अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होता था। मंत्री तथा सचिव' शब्द भी अमात्य के लिए व्यवहृत हैं। डॉ० आर० जी० बसाक के मतानुसार अमात्य शब्द का तात्पर्य 'सहायक' या 'साथी' से है, परन्तु मंत्री का अर्थ 'मंत्र' (गुप्त अथवा राजनैतिक परामर्श) से है ।' अमात्य (मंत्री) को राज-राष्ट्रभृत की संज्ञा से सम्बोधित किया गया है अर्थात् वह राजा और राष्ट्र दोनों का उत्तरदायित्व वहन करता है । समराइच्चकहा में अमात्यार्थ मंत्री, महामंत्री, अमात्य, प्रधानामात्य, सचिव तथा प्रधान सचिव शब्द व्यवहृत हैं। जैनेतर साहित्य में भी अमात्य के लिए अनेक शब्द प्रयुक्त हए हैं। मनु ने सचिव और अमात्य को एक ही अर्थ में प्रयुक्त किया है। जैन पुराणों में अमात्य की योग्यता का उल्लेख करते हुए वर्णित है कि उसे निर्भीक, स्वक्रिया तथा परक्रिया का ज्ञाता, महाबलवान्, सर्वज्ञ एवं मन्त्रकोविद १. आपस्तम्बधर्मसूत्र २।५।१०; गौतम ११।१२-१४; अर्थशास्त्र १।६; शुक्रनीति २१७७-८०, कामन्दक ४।३२ २. मानसोल्लास २।२।६० ३. अल्तेकर-वही, पृ० १५२ ४. पद्म ८।१६; हरिवंश १४।६६; महा ५७ ५. वही ११३।४ ६. आर० जी० बसाक-मिनिस्टर्स इन ऐंशेण्ट इण्डिया, इण्डियन हिस्टारिकल क्वार्टरली, भाग १, पृ० ५२३-५२४ ७. भिनकू यादव-समराइच्चकहा : एक सांस्कृतिक अध्ययन, वाराणसी, १६७७ पृ० ६० ८. आपस्तम्बधर्मसूत्र २।१०।२५।१०; अर्थशास्त्र १।१५; महाभारत १२१८५७-८ ६. मनु ७।५४, ७।६० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
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