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________________ राजनय एवं राजनीतिक व्यवस्था २०१ होता था तो राज्य का काम राजमाता के संरक्षण में होता था ।' जैन आगम एवं जैन पुराणों के अनुसार स्त्री को राज्य का उत्तराधिकारी स्वीकार नहीं किया गया था, परन्तु वयस्क संतान न होने पर राज्य संचालन के लिए इस नियम में शिथिलता प्रदान की गयी थी । आवश्यकतानुसार गर्भस्थ शिशु को भी उत्तराधिकारी नियुक्त करने का विधान था । आलोचित जैन आगम और जैन पुराणों के परिशीलन से ज्ञात होता है कि उस समय उत्तराधिकार के लिए युद्ध भी होते थे । महा पुराण में वर्णित है कि लघु भ्राता अपने ज्येष्ठ भ्राता के विरुद्ध विद्रोह भी किया करते थे । राजा उन्हें समझाकर शान्त करने का प्रयत्न करता था । परन्तु उसके न समझने पर विद्रोह को शक्ति द्वारा दबाने का भी उल्लेख मिलता है । पाण्डव पुराण में उल्लिखित है कि राजकुमार के विद्रोह करने पर कभी-कभी राजा आत्म हत्या कर लेते थे । * (ii) शिक्षा : राजकुमार ही राज्य के उत्तराधिकारी होते थे । इसलिए राजकुमारों की शिक्षा-दीक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता था । महा पुराण में उनकी शिक्षा-दीक्षा की सुन्दर व्यवस्था का उल्लेख उपलब्ध होता है । राजकुमारों कोअन्वीक्षिकी, तयी, वार्ता तथा दण्डनीति- इन चार राजविद्याओं के अध्ययन को आवश्यक एवं अनिवार्य बताया गया है ।" जैनेतर ग्रन्थों में भी राजकुमारों की शिक्षा आदि की व्यवस्था का सुन्दर चित्रण उपलब्ध है । (iii) राज्याभिषेक : जैन आगम साहित्य में राजकुमार के राज्याभिषेक का बहुत सुन्दर चित्रण चित्रित है ।" जैन पुराणों में राज्याभिषेक का भव्य वर्णन किया गया है । राजा के अभिषेकोत्सव पर बहुत से राजागण उपस्थित रहते थे । १. महा ८७८-६८ २. जगदीश चन्द्र जैन --- वही, पृ० ४५; धान्य कुमार राजेश - वही, पृ० ६ ३. महा ३४ । ३६ - ५६; जगदीश चन्द्र जैन - वही, पृ० ४३-४७ ४. पाण्डव ४२११ ५. राजविद्याश्चतस्रोऽभूः कदांचिच्च कृतक्षणः । व्याचख्यौ राजपुत्रेभ्यः ख्यातये स विचलक्षः ॥ महा ४१।१३६ ६. अर्थशास्त्र १।२ ; महाभारत शान्तिपर्व ५६।३३; ७. मनु ७ ४३; याज्ञवल्क्य १।३११; कामन्दक २।२; शुक्र १।१५१; अग्नि पुराण २३८ आवश्यकचूर्णी, पृ० २०५ निशीथचूर्णी २, पृ० ४६२-४६३ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ३।६८; ज्ञाताधर्मकथा १, पृ० २८; उत्तराध्ययनटीका ८, पृ० २४० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
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