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सामाजिक व्यवस्था
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होते थे। काञ्चीदाम, मुक्तादाम, मेखलादाम एवं किंकिणी युक्त मणिमयदाम आदि प्रमुख हैं।
(v) कटिसूत्र : इसको स्त्री-पुरुष दोनों कटि में धारण करते थे ।
[र] पादाभूषण : इसे पैर में धारण करते थे । नूपुर, तुलाकोटि, गोमुखमणि आदि की गणना प्रमुख पादाभूषणों में होती थी। इस आभूषण का प्रयोग स्त्रियाँ करती थीं।
(i) नपुर' : स्त्रियाँ पैरों में इसे धारण करती थीं। नपुर में घुघरू लगने के कारण मधुर ध्वनि निकलती थी। जैन ग्रन्थों में-मणिनूपुर, शिजितनूपुर, भास्वतकलनूपुर तथा कलनूपुर-चार प्रकार के नूपुरों का वर्णन प्राप्य है।'
(ii) तुलाकोटि : तुला अर्थात् तराजू की डण्डी सदृश आभूषण के दोनों किनारे किञ्चित् घनाकार होने के कारण ही इसका नाम तुलाकोटि पड़ा। इसका उल्लेख बाणभट्ट ने हर्षचरित में किया है ।
(iii) गोमुखमणि : इस प्रकार के मणियुक्त आभूषण को गोमुखमणि की संज्ञा प्रदान की गयी है । इसका आकार गाय के मुख के समान होता था ।"
१. महा ४।१८४, ८।१३, ११११२१, १४।१३ २. वही १३१६६, १६।१६; हरिवंश ७।८६, ११११५ ३. हरिवंश १४।१४; महा ६।६३, १६।२३७; पद्म २७।३२; तुलनीय-रघुवंश
१३।२३; कुमारसम्भव १।३४; ऋतुसंहार ४।४; विक्रमोर्वशीय ३।१५ ४. नेमिचन्द्र-आदिपुराण में प्रतिपादित भारत, पृ० २२२ ५. महा १४।१४ ६. द्रष्टव्य, गोकुल चन्द्र जैन-यशस्तिलक का सांस्कृतिक अध्ययन, पृ० १५१ ७. महा १४।१४
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