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________________ ( xvii) कर्मचारीगण जिस निष्ठा, लगन एवं उत्साह से इस दायित्व का निर्वाह किया, इससे ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे यह स्वतः उन्हीं की पुस्तक हो। इसके लिए मैं सभी के प्रति अत्यन्त कृतज्ञ हूँ । इस शोध-प्रबन्ध के चित्र-फलक का निर्माण श्री एस० के० ठाकुर और प्रूफ संशोधन श्री शिवचन्द्र ओझा एवं श्री जगदीश दीक्षित ने अत्यन्त तत्परता से किया है, इसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं। ___अग्रज तुल्य श्री गोविन्द शरण दास एवं भाभी श्रीमती मीनाक्षी दास ने मुझे जो स्नेह और सम्बल प्रदान किया, उसका प्रतिदान शब्दों में असम्भव है । भाई श्री सन्तोष कुमार दीक्षित एवं भाभी (श्रीमती) डॉ. उर्मिला दीक्षित और प्रिय मित्र श्री अरबिन्द शरण दास एवं भाभी श्रीमती शशि प्रभा दास की स्नेहसिक्त सदाशयता ने मुझे सदैव जो प्रोत्साहन दिया है, वह अविस्मरणीय रहेगा। ___ स्वर्गस्थ पिताजी की पुण्य-स्मृति से मैं रोमांचित हो उठता हूँ, जिनकी अदृश्य प्रेरणा प्रतिपल मेरा मार्ग-निर्देशन कर रही है। पूजनीया जननी के ऋण से मैं जन्म-जन्मान्तर तक उऋण नहीं हो सकता, जिन्होंने पति के स्वर्गवास को हृदय में दबाकर, गृहस्थी के सम्पूर्ण जंजालों को समेट, मेरे कार्य की निविघ्न समाप्ति के लिए अपना पवित्र आशीर्वाद प्रदान किया । मेरी धर्मपत्नी श्रीमती निर्मला मिश्रा ने बाल-बच्चों के दायित्व को अपने ऊपर लेकर मुझे इस कठोर शोध-साधना के लिए मुक्त रख कर अपने सहमिणी के कर्तव्य का निर्वाह किया, जिसके लिए वे साधुवाद की अधिकारिणी हैं। इस प्रकार जैन पुराणों के सर्वाङ्गीण सांस्कृतिक अध्ययन की दिशा में मेरा यह एक अत्यन्त विनम्र प्रयास है । आशा है, इससे अब तक इस दिशा में किये गये अनुसन्धानों की श्रृंखला में एक नयी कड़ी जुड़ेगी तथा भविष्य के अनुसन्धान कार्यों में जैन पुराणों की इस महनीय सामग्री का उपयोग किया जा सकेगा। जैन पुराणों के इतस्ततः बिखरे सांस्कृतिक सूत्रों का संचय करने का मैंने जो प्रस्तुत प्रयास किया है, उसके द्वारा अगाध जैन साहित्य के अध्ययन में विद्वानों, शोधार्थियों, जिज्ञासुओं एवं साधारण पाठकों को यदि किञ्चित् भी सहायता मिल सकी, तो मैं अपने परिश्रम को सार्थक समझूगा । दीपावली २२ अक्टूबर, १६८७ ई० इलाहाबाद देवी पूसापक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
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