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कुछ लुप्त हो जाएगा, और फिर नये सिरे से जगत् का निर्माण होगा-यह कथमपि सम्बन्ध नहीं है। ईश्वर को किसने बनाया ?
तथापि हमारे बहुत-से पड़ोसी धर्म जगत् का उत्पन्न होना मानते हैं। उन्हें यह विश्वास ही नहीं आता कि बिना बनाए भी कोई चीज अस्तित्व रख सकती है। अतएव वे कहते हैं कि 'जगत् का बनाने वाला ईश्वर है।'
इस पर जैन-दर्शन पूछना चाहते है कि क्या कोई भी पदार्थ बिना बनाए अपना अस्तित्व नहीं रख सकता। यदि नहीं रख सकता, तो फिर ईश्वर को किसी ने नहीं बनाया, फिर भी वह अपने आप ही अनादि-अनन्त काल से अपना अस्तित्व टिकाए रख सकता है, तो इसी प्रकार जगत् भी अपने अस्तित्व में किसी उत्पादक की उपेक्षा नहीं रखता। वह भी ईश्वर के समान बिना किसी निर्माण के स्वतः सिद्ध है।
यह तो सभी मानते हैं कि ईश्वर निराकार है। उसके कोई हाथ पैर एवं शरीर नहीं है। जैन-दर्शन का तर्क है कि बिना शरीर और बिना हाथ-पैर के यह जगत् कैसे बन सकता है। हम देखते हैं कि कुम्हार, सुनार आदि कर्ता हाथ आदि से ही वस्तु का निर्माण करते हैं। कोई भी कर्ता शरीर के बिना क्या कर सकता है ? 'खुदा' अब क्यों नहीं बोलता ? ___ मुसलमान कहते हैं कि खुदा, अपने हुक्म से दुनिया को पैदा करता है। खुदा ने कुन कहा और दुनिया बनकर तैयार हो गई। हम पूछते हैं-क्या खुदा के शरीर है ? क्या खुदा के जुबान है ? क्या खुदा के मुँह है ? मुसलमान भाई कहते हैं कि 'खुदा के शरीर, मुँह, जुबान आदि कुछ नहीं है। हम आश्चर्य में हैं कि जब मुँह ही नहीं है, जुबान जैनत्व की झांकी (136)
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