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________________ सम्पादक की ओर से समाज और संस्कृति एक वह विषय है, कि जो अति गम्भीर और अति विशाल है । वर्तमान युग में आप जहाँ कहीं भी देखेंगे और सुनेंगे, वहाँ सर्वत्र आपको विशेष रूप से समाज और संस्कृति की ही चर्चा अधिक सुनाई पड़ेगी । एक कवि ने कहा “बाहर के पट बन्द कर, अन्दर के पट खोल ।" प्रस्तुत कविता की एक पंक्ति में ही जीवन का सम्पूर्ण निधीड़ निकालकर रख दिया गया है । ज्ञान-प्राप्ति का यह सबसे सुन्दर सिद्धान्त है, कि बाहर का पट बन्द करके अन्दर का पट खोला जाए । जब तक अन्दर के पट को नहीं खोला जाएगा, तब तक ज्ञान की प्राप्ति सम्भव नहीं है । बाहर का पट बन्द करके अन्दर का पट खोलने का लाभ और भी है-Peace of mind, मानसिक शान्ति । दूसरा लाभ है-ज्ञान की अभिवृद्धि । ज्ञान की साधना तभी सम्भव है, जब कि मन और मस्तिष्क शान्त हों । Knowledge is power. ज्ञान एक शक्ति है । इस शक्ति की प्राप्ति तभी सम्भव है, जब कि मनुष्य के हृदय और बुद्धि अन्तर्मुखी हो जाएँ । एक महान् तत्व-चिन्तक ने कहा है-"Know yourself and know the world." पहले अपने आपको समझो और फिर उस संसार को समझने का प्रयत्न करो, जिसमें तुम रह रहे हो । पहले अपने को समझो, फिर परिवार को समझो, फिर समाज को समझो, फिर राष्ट्र को समझो और अन्त में इस विराट ब्रह्माण्ड को समझने का प्रयत्न करो । समाज क्या है ? और समाज की संस्कृति क्या है ? यह एक गम्भीर प्रश्न है । इसको सुलझाना सरल और आसान नहीं है, फिर भी हम जिस समाज में रहते हैं, उसकी शक्ति को पहचान कर उसकी भक्ति करना आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है । समाज में अपार शक्ति होती है, किन्तु उस शक्ति की अभिव्यक्ति उसी व्यक्ति में होती है, जो समाज को अपनी भक्ति अर्पित करता है । जो व्यक्ति समाज से दूर हटने का प्रयत्न करता है और समाज को उपेक्षा-बुद्धि से देखने का प्रयत्न करता है, वह व्यक्ति कभी अपना विकास नहीं कर सकता । क्योकि जो समाज की उपेक्षा करके चलता है, समाज भी फिर उसे अपने रंगमंच से नीचे धकेल देता है समाज की उपेक्षा, फिर भले ही व्यक्ति कितना भी अधिक आत्मनिष्ठ रहने वाला क्यों न हो, कर नहीं सकता । ध्यानी का ध्यान-योग, ज्ञानी का ज्ञान-योग , भक्त का भक्ति-योग और तपस्वी का तप तथा संयमी का संयम-समाज के सहयोग और सहकार के बिना नहीं चल सकते । समाज अपने आपमें एक बहुत बड़ी शक्ति है। संस्कृति क्या है ? इसे एक ही वाक्य में समझना असम्भव नहीं, तो कठिन अवश्य है । संस्कृति मानवीय जीवन का एक ऐसा विराट तत्व है, जिसमें सभी कुछ समाहित हो जाता है । मानव-जीवन के तीन पक्ष हैं-ज्ञान, भाव और कर्म । इसको लोक भाषा में बुद्धि, हृदय और व्यवहार भी कह सकते हैं । इन तीनों में - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001344
Book TitleSamaj aur Sanskruti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1994
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Culture
File Size15 MB
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