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________________ समाज और संस्कृति नहीं है । यदि वह मरता है, तो नरक में जाएगा, जहाँ उसे कष्ट ही कष्ट मिलेगा । अतः काल शौकरिक के लिए उसने यही कहा, कि न तेरा जीना ही अच्छा है, न तेरा मरना ही अच्छा है । जिस व्यक्ति के न जीवन से लाभ हो और न मरण से लाभ हो, उस व्यक्ति के जीवन को सफल जीवन नहीं कहा जा सकता । एक अच्छे साधक की परिभाषा यही है, कि "चाहे जी, चाहे मर ।" जिस व्यक्ति का जीवन सुन्दर है, उसका मरण भी सुन्दर ही होता है । जिस व्यक्ति का जीवन वरदान है उस व्यक्ति का मरण भी वरदान ही होता है । जीवन का यह रहस्य उसी व्यक्ति की समझ में आ सकता है, जिसने जीवन के रहस्य को समझने का प्रयत्न किया हो । ___ मैं आपसे जीवन की बात कह रहा था और यह कह रहा था, कि अनित्य भावना के चिन्तन से किस प्रकार विमल विवेक का उदय होता है । अनित्यता और क्षण-भंगुरता का उपदेश विलाप करने के लिए नहीं है, यह तो इसलिए है, कि हम अपने जीवन को शानदार बना सकें, हम अपने जीवन को मंगलमय बना सकें और हम अपने जीवन को इतना सुन्दर बना सकें, कि हम उस कोटि में पहुंच जाएँ, जहाँ यह कहा जाता -है-'चाहे जी, चाहे मर ।' वस्तुतः मैं उसी जीवन को महान जीवन कहता हूँ, जिसका वर्तमान भी सुन्दर हो और जिसका भविष्य भी शानदार एवं सुन्दर हो । जीवन के रागात्मक विकल्प को दूर हटाने के लिए संसार की प्रत्येक वस्तु में क्षण-भंगुरता और अनित्यता का दर्शन करना, यही जीवन का निगूढ़ रहस्य है । १३२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001344
Book TitleSamaj aur Sanskruti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1994
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Culture
File Size15 MB
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