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अध्यात्म साधना |८१ एक प्रश्न अध्यात्म-शास्त्र में बड़े ही महत्व का उठाया गया है, कि मोक्ष की साधना में पहले सम्यग् दर्शन को माना जाए अथवा सम्यग् ज्ञान को माना जाए? हमारी अध्यात्म साधना का क्रम सम्यग् दर्शन सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चारित्र रहे अथवा सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन और सम्यक चारित्र रहे। चारित्र के सम्बन्ध में किसी भी प्रकार का विचार-भेद उपलब्ध नहीं होता। जितना भी विचारभेद है, वह सब ज्ञान और दर्शन के पूर्वा-पर के सम्बन्ध में है। यदि तात्त्विक दृष्टि से विचार किया जाए, तो किसी भी प्रकार के विचारभेद को अवकाश नहीं है। आगम ग्रन्थों में, मोक्ष के अंगों में कहीं तो दर्शन से पूर्व ज्ञान को रखा गया है और कहीं ज्ञान से पूर्व दर्शन को रखा गया है। परन्तु दार्शनिक ग्रन्थों में सर्वत्र एक ही शैली उपलब्ध होती है । वहाँ सर्वत्र दर्शन से पूर्व ज्ञान को रखा गया है । इस पक्ष का तर्क यह है, कि ज्ञान तो आत्मा में अनन्तकाल से था ही, किन्तु उसे सम्यक् बनाने वाली शक्ति सम्यग् दर्शन ही है। अतः ज्ञान से पूर्व उस सम्यग् दर्शन को रखा जाना चाहिए, जिसकी महिमा से अज्ञान भी सम्यकज्ञान बन जाता है। इस दृष्टि से ज्ञान से पूर्व दर्शन शब्द को रखने में किसी भी प्रकार की विप्रतिपत्ति उत्पन्न नहीं हो सकती। परन्तु ज्ञान को दर्शन से पूर्व मानने वाले पक्ष का तर्क यह है, कि दर्शन का अर्थ है सत्य की प्रतिपत्ति, सत्य की दृष्टि । परन्तु कौन दृष्टि सत्य है, कौन दृष्टि असत्य है, इसका निर्णय ज्ञान से ही हो सकता है, अतः दर्शन से पूर्व ज्ञान होना चाहिए। जैन-दर्शन कहता है, कि सत्य तो सत्य है, परन्तु उस पर विचार करो कि वह सत्य किस प्रकार का है ? आध्यात्मिक साधना के क्षेत्र में आत्मा का सत्य ही सर्वोपरि सत्य है। इस दृष्टि से दर्शन से पूर्व ज्ञान का कथन करने वालों का अभिप्राय यही है, कि किसी भी वस्तु के निर्णय करने में ज्ञान की प्राथमिकता रहती है । अतः आस्था, श्रद्धा और विश्वास से पूर्व ज्ञान होना चाहिए। परन्तु यदि गम्भीर विचार के साथ वस्तुस्थिति का अवलोकन किया जाए तो सार तत्त्व यही निकलता है, कि दर्शन और ज्ञान में क्रम-भाव एवं पूर्वापर-भाव है ही नहीं। __ कल्पना कीजिए आकार में सूर्य स्थित है, उसे चारों ओर बादलों ने घेर लिया है । किन्तु जब बादल हटते हैं, तब सूर्य का प्रकाश और आतप एक साथ भूमण्डल पर फैल जाते हैं। यदि कोई यह कहे कि पहले प्रकाश आता है, फिर आतप आता है, अथवा पहले आतप आता
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