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________________ ज अध्यात्मवाद का आधार अध्यात्मवादी दर्शन की अध्यात्म-साधना का मूल आधार सम्यग् दर्शन है | सम्यग् दर्शन का अर्थ है - सम्यक्त्व । सम्यक्त्व का अर्थ है - सत्य दृष्टि । सामान्य भाषा में आस्था, निष्ठा, श्रद्धा और विश्वास भी इसी को कहा जाता है । अध्यात्म साधना का मूल आधार सम्यग् दर्शन क्यों है ? उक्त प्रश्न के समाधान में कहा गया है, कि मनुष्य के जीवन में दो प्रधान तत्त्व हैं-दृष्टि और सृष्टि । दृष्टि का अर्थ हैबोध, विवेक, विश्वास और विचार । सृष्टि का अर्थ है - क्रिया, कृति, संयम और आचार | किस मनुष्य का आचार कैसा होता है, इसको परखने की कसौटी उसका विचार और विश्वास होता है। मनुष्य क्या है ? वह अपने विश्वास, विचार और आचार का प्रतिफल होता है । दृष्टि की विमलता से ही जीवन अमल और धवल बन सकता है । यो कारण है, कि जैन दर्शन में विचार और आचार से पहले दृष्टि की विशुद्धि पर विशेष लक्ष्य और विशेष बल दिया जाता है । तुम क्या होना चाहते हो, उससे पहले यह देखो, कि तुम्हारा विश्वास और विचार कैसा है ? जब तक व्यक्ति अपने को समझने का प्रयत्न नहीं करता है, तब तक वह अपने आपको अच्छा नहीं बना सकता । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001337
Book TitleAdhyatma Pravachana Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1991
Total Pages380
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size17 MB
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