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मनोमंत्र
मानव का उत्थान-पतन सब, अन्तर्मन पर अवलंबित निज-पर का हित और अहित सब मात्र उसी पर आधारित है।
उजला या वर्तमान जो चाहो महाशक्ति
काला भविष्य है, के भाव-तंत्र में। सो बन सकते हो, है मनोमंत्र में॥
पापी करे सबसे मूल
या तुम्हारा
पहले कर्म का
पुण्यात्मा तुमको,
अन्तर्मन ही। इसे संवारो, है चिन्तन हो।
जब भी सोचो अच्छा सोचो, मन को सौम्य, शान्त, शुभ गति दो। अंधकार-युत जीवन-पथ को, ज्योतिर्मय निज-पर हित मति दो॥
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