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तंदपर्वात्ततचयधनमनिदं पपपप कळेदु अनुक्रुष्टिपर्वादिबं भागिसुतमिरलु तदनुकृष्टि
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प्रथमखंडप्रमाणमक्कुं पपपगु २ प द्वितीयाविखंडंगळोळ रचनेयोल बरेदंतेकै कचया
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धिकंगळागुत्तं पोगि चरमखंडदोळु रूपोनानुकृष्टि पवमात्रचयंगळषिकंगळवु -
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मुखमादि धनमें दिदादिधनमक्कुं ।
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प्राग्वदानी तापवर्तित चयधनमिदं = पपप
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गो० कर्मकाण्डे
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ई प्रथमगुणहानि चरमनिषेकानुकृष्टिखंडंगळ संकलितं पवहत
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द्वितीयादिखण्डमेककै क्याधिकं भूत्वा चरमं रूपोनानुकृष्टिपदमात्रचयाधिकं भवति
चयनमुं
उद्धृत्यानुकृष्टिपदेन भक्ते प्रथमखण्डं स्यात्
प १-प पुनरिदं संकलितं पदहतमुखमादिधनं = पपप गु २ – प १- गु २
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१-३२a
मुख
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में जो द्रव्य है उसमें पूर्वोक्त चयधन घटाकर शेषको अनुकृष्टि गच्छका भाग देनेपर प्रथम १० खण्ड होता है । द्वितीयादि खण्ड एक-एक अनुकृष्टि चय अधिक होते हैं । तथा अन्तिम खण्ड में एह हीन अनुकृष्टि गच्छ प्रमाण चय अधिक होते हैं । तथा गच्छसे प्रथम खण्डको
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