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________________ कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका १३६९ Ea पपप मिदर चयधनमनितक्कुमें दोर्ड व्येकपद प अर्द्ध प घनचय aa अ aaa गु गु ३ प २a पपप गुणो गच्छ Da पपप प उत्तरधनमें दितु तंदचयधनमनिदं "चय०० ०२ अ aaai aa ग ग३ प २a गुग३५ २a घणहोणंदव्वं पदभजिवे होवि आदिपरिमाणं" येदिताचयधनद अनुकृष्टिपद पल्यासंख्यातेकभागमं भाज्यभागहारभूतंगळनपतिसि कळेदु शेषधनमनि =a पपपप प्रथमगुणहानिजघन्यस्थितिप्रतिबद्धस्थितिबंधाध्यवसायंगळिवरोळ । ५ अ ० ० ० ३२ गु गुरु Saप पप अनुकृष्टिचयः अवगु गु ३ .0 .0 Baप पप व्येकपदा पर्द्धप २ अada गु गु ३५ . २a गुणो गच्छ उत्तरधनं - प प प ५ प २ १- २a अ aaa गुगु ३ प २० नवयः कप पप - १- अ aaa गुगु ३ प २a पल्यासंख्यातभाज्यभागहारापतिते एवम् 3प प प प अ aaa गु गु ३ २ गच्छके आधेको अनुकृष्टि चयसे गुणा करके अनुकृष्टि चयसे गुणा करनेपर चयधनका प्रमाण होता है। ___ प्रथम गुणहानिमें जघन्य स्थितिसम्बन्धी स्थितिबन्धाध्यवसायोंका जो प्रमाण है उसमें प्रथम धनका प्रमाण घटानेपर जो शेष रहे उसको अनुकृष्टि गच्छका भाग देनेपर जो प्रमाण आवे उसे प्रथम गुणहानिमें जघन्य स्थितिसम्बन्धी अनुकृष्टिका प्रथम खण्ड १० जानना। द्वितीयादि खण्डमें एक-एक अनुकृष्टि सम्बन्धी चय अधिक होता है। जघन्य १. म चयद । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001326
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages828
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Karma
File Size18 MB
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