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गो. कर्मकाण्डे
जघन्यस्थितिबंधप्रायोग्यकषायपरिणामस्थानविकल्पंगळि Eaप पप ग
अ aa aग ग३
प्रथमगुणहानिचयमनिदं Da पपप
अनुकृष्टिपददिदं भागिसिदोडे तिर्यगनुकृष्टिचयमा ।
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अ aaa गु गु३ प अ aaa गु गु३ प
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१०. प प प प
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१०- १.० = पपप ग २- प प १०. १-०२ अ गु गु३ प ।
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अaaa गु गु३ प २
२० चरमखंडानि
आदिधनानि
उत्तरधनानि
व
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जघन्यस्थितिबन्धप्रायोग्यकषायपरिणामाः
2aपपप ग
द्रव्यं प्रथमगणहानिन
अ aad गु गु३
जघन्य स्थितिबन्धके योग्य कषाय परिणाम तो द्रव्य है। प्रथम गुणहानिमें जो चय. ५ का प्रमाण है उसको अनुकृष्टि गच्छ-पल्यके असंख्यात भागसे भाग देनेपर अनुकृष्टि
चयका प्रमाण होता है। तथा 'व्येक पदार्धन' इत्यादि सूत्रके अनुसार एक हीन अनुकृष्टि
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