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________________ १३९८ गो० कर्मकाण्डे द्रव्यमनिदं = पपप अखाणेण ग सम्वधणे खंडिवे मजिसमषणमागच्छवि = a पपप अ . अ aaa --0 तं रूऊण अद्धाण अद्धण ग ऊणेण णिसेयहारेण गु३ मज्झिमघणमवहरिदे पचयं २ तस्मिन् प्रचये अधिकसंकलनविवक्षया रूपाधिकगुणहान्या गुणिते प्रथम Daपपप ग ग ३ ... 37 a a a निषेको भवेत् = ० प प प ग एंवितिदु प्रथमनिषेकमक्कुं । द्वितीयादिनिषेकंगळेकैकचयाधि ००० गु गु ३ ५ कंगळागुतं पोगि प्रथमगणहानिचरमनिषेकं रूपोनगुणहानिमात्रचयंगळि नधिकमक्कुं पपप गु२ ई प्रकारविदं गुणहानि प्रति द्रव्यमं चयमुं द्विगुणद्विगुणंगळ रचनाविशेष गळागत्तं पोगि चरमगुणहानिद्रव्यमिदु = १५ प अ इदं अद्धाणेण सव्वधणे खंडिवे मज्झिम अ ०२ आदाणेण खडिदे मज्झिमघणमागच्छदि Da प प प तं रूऊणद्धाण ८ अद्धेण ८ ऊणेण णमेयभागहारेण अ daaगु ग ३ अवहरिदे पचयो : पप,- अयमधिक 2 पप संकलनविवक्षया रूपाधिकगणहान्या गु गु ३ व aaa २ अ.aa १० गणितः प्रथमनिषकः = पपप गु द्वितीयादिषेका एकैकचयाधिका भूत्वा चरमनिषको रूपोनगुणहानि अ aadगु गु ३ वही प्रथम गणहानिका प्रमाण है । इस प्रथम गणहानिसे द्वितीयादि गुणहानियोंमें अन्तकी गणहानि पर्यन्त दूना-दूना द्रव्य जानना। ___प्रथम गुणहानिके द्रव्यमें गुणहानि आयामका प्रमाणरूप गच्छका भाग देनेपर मध्यम धनका प्रमाण आता है। गच्छके बीचके निषेकोंके प्रमाणको मध्यमधन कहते हैं। मध्यम१५ धनको-एक हीन गुणहानि प्रमाणका आधाको निषेक भागहार जो दो गुणहानि है उसमें घटाकर जो शेष रहे उससे भाग देनेपर चयका प्रमाण होता है। यहाँ निषेकोंका प्रमाण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001326
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages828
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Karma
File Size18 MB
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